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    देहरादून में स्वाइन फ्लू ने फिर दी दस्तक, तीन मरीजों में हुई पुष्टि

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 11 Jul 2017 06:23 PM (IST)

    मौसम में नमी बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में अब तक तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है।

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    देहरादून में स्वाइन फ्लू ने फिर दी दस्तक, तीन मरीजों में हुई पुष्टि

    देहरादून, [जेएनएन]: मौसम में नमी बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में अब तक तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। जिससे स्वास्थ्य विभाग भी हैरत में है। स्वाइन फ्लू के मामले अमूमन अगस्त से मार्च के बीच सामने आते हैं। मगर, इस दफा अप्रैल से जुलाई के बीच भी स्वाइन फ्लू की मौजूदगी चौंकाने वाली है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत का कहना है कि अस्पताल प्रशासन से इस विषय में जानकारी ली जा रही है।

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    सोमवार को श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके बिहारी ने बताया कि बीती छह जुलाई को दून निवासी एक व्यक्ति में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। इससे पहले दो अप्रैल को सहारनपुर निवासी महिला और 22 मई को कौलागढ़ निवासी मरीज में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। ऐसे में अस्पताल में 12 बेड का एक वार्ड स्वाइन फ्लू के रोगियों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। 

     

    मेडिसिन विभाग के डॉ. योगेश ढांढ को स्वाइन फ्लू का नोडल अधिकारी बनाया गया है। अस्पताल की मोलिक्यूलर लैब में स्वाइन फ्लू की जांच की जाती है। अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अमित वर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू 30 डिग्री से कम तापमान पर ही फैलता है। यह हैरानी की बात है कि इस बार अप्रैल से जुलाई के बीच भी स्वाइन फ्लू के केस सामने आए हैं। ऐसे में एहतियात बरतने की जरूरत है। 

     

    अस्पताल प्रशासन से इसकी जानकारी ली जा रही है

    स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत का कहना है कि अस्पताल प्रशासन से इसकी जानकारी ली जा रही है। स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए सैंपल दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनएसडीसी) भेजे जाते हैं। तब तक इन्हें संदिग्ध की श्रेणी में रखा जाएगा। 

     

    ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण

    सर्दी, जुकाम, सूखी खांसी, थकान होना, सिरदर्द और आंखों से पानी आना। इसके अलावा स्वाइन फ्लू में सांस भी फूलने लगती है। अगर संक्रमण गंभीर है तो बुखार तेज होता जाता है।

     

    स्वाइन फ्लू के कारण

    इंफ्लूएंजा-ए वायरस के एक प्रकार एच1एन1 से स्वाइन फ्लू उत्पन्न होता है। यह वायरस साधारण फ्लू के वायरस की तरह ही फैलता है। स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक बहुत तेजी से फैलता है। जब कोई खांसता या छींकता है तो छोटी बूंदों में से निकले वायरस कठोर सतह पर आ जाते हैं। यह वायरस 24 घंटे तक जीवित रह सकता है। 

     

    ये सावधानियां बरतें 

    -गंभीर बीमारियों से ग्रसित, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, सर्दी-जुकाम से पीड़ित, बच्चे और बुजुर्गों को विशेष तौर से सावधानी बरतने की जरूरत है।

    -इस बीमारी से बचने के लिए स्वच्छता का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते और छीकते समय टीशू से कवर रखें। इसके बाद टीशू को नष्ट कर दें।

    -बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें। 

    -जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए। 

    -स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से संपर्क व हाथ मिलाने से बचें। नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहें। 

    -जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से तेज बुखार हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। 

    -स्वाइन फ्लू के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है। जिससे एच1एन1 वायरस की पहचान की जाती है। ऐसी कोई भी जांच डॉक्टर की सलाह के बाद कराएं।

     

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