लखनऊ के 90 फीसद पेट्रोल पंप में चिप लगाकर घटतौली का खेल
पेट्रोल पंप में चिप लगवाने के खेल में कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं। राजेंद्र से पूछताछ में सामने आया कि राजधानी के 90 फीसद पंपों में गड़बड़ी थी।
लखनऊ (आलोक मिश्र)। पेट्रोल पंप में इलेक्ट्रानिक चिप लगवाने के लिए भी बड़ा खेल किया जाता था। आरोपियों से पूछताछ में कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं। राजेंद्र से पूछताछ में यह भी सामने आया है कि राजधानी के 90 फीसद पंपों में गड़बड़ी थी। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक राजेंद्र ने लखनऊ के 90 फीसद पंपों में चिप लगाने की बात स्वीकार की है। एसटीएफ ने छापेमारी के लिए कई अन्य पंप को भी सूचीबद्ध किया था, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर टीमें गठित न हो पाने की वजह से सात पंपों पर ही छापेमारी की गई। राजेंद्र ने यह भी बताया कि उसने चिप लगाने का हुनर करीब सात साल पहले दिल्ली में सीखा था।
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गोरखधंधा पकडऩे के अहम बिंदु
- पंप का स्टॉक रजिस्टर अधूरा
- पंप के तेल हमेशा स्टॉक से ज्यादा
- पंप में मेजरमेंट रॉड से छेड़छाड़
- पंखे में छिपा दिया था रिमोट बरामद
- ग्राहक गड़बड़ी नहीं भांप सकते
एसटीएफ के एएसपी डॉ.अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक चिप लगवाने के लिए मशीन खराब होने का झांसा दिया जाता था। जांच में सामने आया कि मशीन में एक इलेक्ट्रानिक बॉक्स लगा होता है जिस पर बाट माप विभाग के निरीक्षक की कटीले तारनुमा सील लगती है। पेट्रोल पंप संचालकों की ओर से बाट माप विभाग को मशीन खराब होने का हवाला देकर उसकी मरम्मत संबंधी प्रार्थनापत्र दिया जाता था। इसके बाद निरीक्षक आकर मशीन से इलेक्ट्रानिक बॉक्स को निकालकर दे देते थे। मरम्मत का हवाला देकर इलेक्ट्रानिक बॉक्स में चिप लगवाई जाती थी, जो रिमोट से संचालित होती थी। बाद मेंं बाट माप निरीक्षक इलेक्ट्रानिक बॉक्स को वापस मशीन में लगवाकर उसमें सील लगवा देते थे। लालता प्रसाद वैश्य एण्ड सन्स पेट्रोल पंप के मैनेजर ने पूछताछ मेंं बताया कि उन्हें कई वर्ष पहले जब घटतौली करने वाली चिप के बारे में पता चला तो उन्होंने डीलर/मालिक से इस बाबत वार्ता करने के बाद आरोपी राजेंद्र से संपर्क किया था। तब राजेंद्र ने मशीन के भीतर लगे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बॉक्स की आवश्यकता जताई। तब मशीन की मरम्मत के लिए सील खुलवाकर चिप लगवाई गई। फिर उसमें दोबारा सील लगवा दी गई थी। किसी को संदेह होने पर रिमोट से चिप को ऑफ कर दिया जाता था।
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इस तरह तय की गई रणनीति
एएसपी डॉ. चतुर्वेदी ने पेट्रोल पंपों की सेवाओं के आवश्यक सेवा श्रेणी का होने के कारण इनके परिसर में होने वाली किसी गड़बड़ी के पर्दाफाश के लिए आवश्यक विधिक प्राविधानों का अध्ययन किया तो पाया कि इस कार्रवाई में पुलिस के साथ बॉटमाप निरीक्षक, संबंधित ऑयल कंपनी के फील्ड आफिसर, जिला आपूर्ति विभाग के अधिकारी तथा एक मेजिस्ट्रेट की मौजूदगी आवश्यक है। तब एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर छापे के लिए संयुक्त टीम बनाकर कार्रवाई की।
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बड़े शहरों में भी चल रहा गोरखधंधा
पूछताछ में सामने आया है कि चिप लगाकर पेट्रोल चोरी का यह गोरखधंधा राजधानी के अलावा कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, नोएडा, वाराणसी, बरेली, बाराबंकी व अन्य जिलों में भी हो रहा था। एएसपी डॉ.चतुर्वेदी के मुताबिक गिरोह के अन्य सदस्यों व कई अन्य पंपोंं के बारे में सूचना मिली है, जिन पर कार्रवाई के लिए रणनीति बनाई जा रही है। अलग-अलग तरह की चिप लगाने के लिए आरोपी राजेंद्र के पास एक नक्शा भी होता था। जिसकी मदद से वह मशीनों में चिप फिट करता था।