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सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न का सबूत प्रदान करना असंभव - हिमंत बिस्वा सरमा

सीएए के खिलाफ विरोध के बीच भाजपा नेता और राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न का सबूत प्रदान करना असंभव है।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 08:35 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 08:35 AM (IST)
सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न का सबूत प्रदान करना असंभव - हिमंत बिस्वा सरमा
सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न का सबूत प्रदान करना असंभव - हिमंत बिस्वा सरमा

गुवाहाटी, एएनआइ। असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध के बीच भाजपा नेता और  राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न का सबूत प्रदान करना असंभव है। उन्होंने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न का सबूत दिखाने के लिए व्यक्ति का बांग्लादेश जाना और पुलिस रिपोर्ट की एक प्रति एकत्र करना असंभव है।

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हिमंत ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को धार्मिक उत्पीड़न साबित करना है तो उसे बांग्लादेश जाना होगा और पुलिस रिपोर्ट की एक प्रति एकत्र करनी होगी। बांग्लादेश में पुलिस स्टेशन वह सबूत क्यों देगा? इसलिए  नागरिकता कानून के तहत धार्मिक उत्पीड़न की अवधारणा को साबित करना संभव नहीं है। सरमा ने यह बात धार्मिक उत्पीड़न पर सीएए पर उनके हालिया बयान के बारे में पूछे जाने पर कही।

धार्मिक उत्पीड़न सीएए के लिए मानदंड नहीं हो सकता

इससे पहले असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि धार्मिक उत्पीड़न सीएए के लिए एक मानदंड नहीं हो सकता है। उन्होंने पूछा कि एक आवेदक कैसे साबित कर सकता है कि वह धार्मिक उत्पीड़न का शिकार है या वह अपने मूल देश से भाग गया है और धार्मिक उत्पीड़न की भय के कारण भारत आया है। 

नागरिकता कानून का असम समेत देश के कई हिस्सों में विरोध

बता दें कि नागरिकता कानून संसद में पिछले महीने दिसंबर में पास हुआ था। इस कानून को लेकर असम समेत देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक सताए जाने के कारण भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। असम के लोग सीएए को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं।

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