छात्र वीजा फर्जीवाड़े में तीन भारतीयों ने कबूला गुनाह
अमेरिका में शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करने वाले तीन भारतीयों ने छात्र वीजा धोखाधड़ी का गुनाह कबूल कर लिया है। अमेरिकी एजेंसियों को 84 लाख डॉलर (करीब 54 करोड़ रुपये) का जुर्माना देने को भी तीनों तैयार हो गए हैं। इन्हें सितंबर में सजा सुनाई जाएगी। 10 साल तक की
न्यूयॉर्क। अमेरिका में शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करने वाले तीन भारतीयों ने छात्र वीजा धोखाधड़ी का गुनाह कबूल कर लिया है। अमेरिकी एजेंसियों को 84 लाख डॉलर (करीब 54 करोड़ रुपये) का जुर्माना देने को भी तीनों तैयार हो गए हैं। इन्हें सितंबर में सजा सुनाई जाएगी। 10 साल तक की सजा हो सकती है।
सुरेश हीरानंदानी (61), ललित छाबडि़या (54) और अनीता छाबडि़या (50) ने गुरुवार को मैनहट्टन की संघीय अदालत में छात्र वीजा और वित्तीय सहायता फर्जीवाड़े की साजिश के आरोप स्वीकार किए। अमेरिका सरकार को 74 लाख डॉलर और छात्र वित्तीय सहायता फर्जीवाड़े से अमेरिकी शिक्षा विभाग को हुए नुकसान के लिए 10 लाख डॉलर का जुर्माना देने पर भी तीनों सहमत हो गए हैं। उन्हें इस साल सितंबर में सजा सुनाई जाएगी। इस मामले में समीर हीरानंदानी (28) और सीमा शाह (42) के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप लंबित हैं।
अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन की गृह सुरक्षा जांच के बाद मई 2014 में इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मैनहट्टन के अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भराड़ा ने बताया कि तीनों ने अपने वित्तीय फायदे के लिए छात्र वीजा और घरेलू छात्र वित्तीय सहायता कार्यक्रम को फर्जीवाड़े के साधन में तब्दील कर दिया था। उन्होंने कहा कि शिक्षा फर्जीवाड़ा हमारी निगरानी की उच्च प्राथमिकता में है और हम उन सब पर अभियोग चलाएंगे, जो अपने फायदे के लिए जालसाजी करते हैं।
गौरतलब है कि माइक्रोपावर कैरियर इंस्टीट्यूट के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी में पांच परिसर हैं। सुरेश हीरानंदानी इस संस्थान के अध्यक्ष हैं, वहीं ललित और अनीता उपाध्यक्ष हैं। इनलोगों पर अपने संस्थानों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के बारे में गलत जानकारी देकर लाखों डॉलर की कमाई करने का आरोप था।
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