लखवी ने कसाब को जिंदा बताकर पाई थी जमानत
आतंकी अजमल कसाब को भले ही दो साल पहले फांसी दे दी गई हो, लेकिन मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी पाकिस्तान की अदालत में उसे जिंदा साबित कर जमानत पाने में सफल रहा। लखवी के खिलाफ एक अहम गवाह उस स्कूल का हेडमास्टर था, जिसमें कसाब पढ़ता था।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। आतंकी अजमल कसाब को भले ही दो साल पहले फांसी दे दी गई हो, लेकिन मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी पाकिस्तान की अदालत में उसे जिंदा साबित कर जमानत पाने में सफल रहा। लखवी के खिलाफ एक अहम गवाह उस स्कूल का हेडमास्टर था, जिसमें कसाब पढ़ता था।
अपने 2009 के बयान से पलटते हुए उनसे अदालत को बताया कि कसाब जिंदा है और उसने खुद उसे गांव में देखा है। गौरतलब है कि लखवी के खिलाफ एकमात्र सबूत कसाब का मुंबई पुलिस को दिया बयान है, जिसमें उसने लखवी के नेतृत्व में हमला करने वाले 10 आतंकियों को ट्रेनिंग देने का खुलासा किया गया था।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई करने की पाकिस्तान की नीयत शुरू से संदिग्ध थी। इसीलिए उसके खिलाफ सबसे अहम गवाह को कोई सुरक्षा नहीं दी गई।
हेडमास्टर ने मुंबई हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी को अजमल कसाब के रूप में पहचान करते हुए उसके स्कूल में पढ़ने के ठोस सबूत मुहैया कराये थे। उसने यह भी बताया था कि आतंकी हमले में शामिल रहा कसाब उसके गांव फरीदकोट के मोहम्मद आमीर का बेटा है।
अजमल की ठोस पहचान होने के बाद लखवी के खिलाफ उसके बयान की अहमियत बढ़ गई थी। लखवी ने अपने बचाव के लिए इसी कड़ी को कमजोर कर दिया। पिछले साल मई में हेडमास्टर मुदास्सिर ने मुंबई हमले में गिरफ्तार आतंकी को कसाब के रूप में पहचाने से साफ इंकार कर दिया।
उसका कहना था कि उसने पिछले दिनों उसके स्कूल में पढ़ने वाले फरीदकोट गांव के मोहम्मद आमीर के बेटे अजमल कसाब को अपने गांव में देखा था। संघीय जांच ब्यूरो (एफआइबी) और लोक अभियोजक जकीउर रहमान लखवी की इस चाल को काटने को कोशिश नहीं की।
18 दिसंबर को लखवी को जमानत देने वाले स्थानीय अदालत ने अपने फैसले में अभियोजक पक्ष की इस नाकामी को उजागर किया था।