चीन पर कैंसर पीडि़त लियू शियाबो को रिहा करने का बढ़ा दबाव
उन्हें देश में खतरनाक गतिविधियां चलाने के लिए 2009 में 11 साल कैद की सजा मिली थी। अमेरिका और जर्मनी समेत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लोगों ने उन्हें अविलंब रिहा करने की मांग की है।
शेनयांग, एएफपी। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैंसर पीडि़त सामाजिक कार्यकर्ता लियू शियाबो को आजाद करने का चीन सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। देश में लोकतंत्र की मांग करने वाले शियाबो का कैंसर अंतिम चरण में पहुंच चुका है और उनकी हालत गंभीर है। उन्हें देश में खतरनाक गतिविधियां चलाने के लिए 2009 में 11 साल कैद की सजा मिली थी।
अमेरिका और जर्मनी समेत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लोगों ने 61 वर्षीय शियाबो को अविलंब रिहा करने की मांग की है जिससे उनका किसी अन्य देश में बेहतर इलाज हो सके। बुधवार को उनकी दशा और बिगड़ गई जब उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उन्हें सांस लेने में भी कठिनाई होने लगी। डॉक्टरों ने शियाबो को वेंटीलेटर सुविधा देने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनके परिजनों इससे इन्कार कर दिया। यह जानकारी शेनयांग मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने दी है।
मानवाधिकार संगठनों ने शियाबो के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी न दिये जाने का आरोप लगाया है। कहा है कि भारी सुरक्षा वाले अस्पताल से गलत जानकारियां दी जा रही हैं। अस्पताल के अधिकारी यह नहीं बता रहे कि शियाबो का किस विभाग में इलाज किया जा रहा है लेकिन जिस तल पर हैं वहां जाने वाले रास्ते पर पांच पुलिसकर्मी तैनात हैं, जो अनाधिकारिक व्यक्ति को आगे नहीं जाने दे रहे।
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