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आखिर क्यों यहां एक दूसरे को मारे जाते हैं पत्थर

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पत्थर बाजी होती है जिसे गोटमार मेला कहा जाता है। यह परम्परा उन युवक युवती की याद में निभाई जाती है जिन्होंने प्यार की खातिर जान दे दी थी

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 09:08 AM (IST)
आखिर क्यों यहां एक दूसरे को मारे जाते हैं पत्थर
आखिर क्यों यहां एक दूसरे को मारे जाते हैं पत्थर
दुनिया में बहुत सी परंपराएं निभायी जाती हैं। ये परंपराएं किसी व्यक्ति या घटना से जुड़ी होती हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पत्थर बाजी होती है जिसे गोटमार मेला कहा जाता है। यह परम्परा उन युवक युवती की याद में निभाई जाती है जिन्होंने प्यार की खातिर जान दे दी थी तभी से यह परम्परा प्रचलित है।
प्रशासन के संरक्षण में दो गांवों के लोगों के बीच पत्थरबाजी होती है, जिसमें काफी लोग घायल भी हो जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सदियों पहले एक प्रेमी युगल ने प्यार की खातिर जान दे दी थी। उन्हीं की याद में गोटमार मेला आयोजित किया जाता है। सावरगांव के लड़के को पांढुर्ना की लड़की से मोहब्बत थी। वह लड़की को उठा ले गया था। इसका विरोध करते हुए पांढुर्ना के लोगों ने पथराव किया था, जिसमें प्रेमी युगल की मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों गांवों के लोगों में जमकर पत्थरबाजी हुई थी। उसी घटना की याद में हर साल गोटमार मेला आयोजित किए जाने और दो गांवों के बीच पत्थरबाजी की परंपरा है।
परंपरा के मुताबिक, जाम नदी के बीच में एक लंबा झंडा लगाया जाता है। नदी के दोनों किनारों पर गांव के लोग खड़े होकर उस झंडे को गिराने के लिए पत्थर चलाते हैं। जिस गांव के लोग झंडे को गिरा देते हैं, उस गांव को विजेता माना जाता है।
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