राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति कानून के खिलाफ सुनवाई से जस्टिस दवे हटे
उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए लागू राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजीएसी) क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से जस्टिस अनिल आर दवे ने खुद को अलग कर लिया है।

नई दिल्ली। उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए लागू राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजीएसी) क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से जस्टिस अनिल आर दवे ने खुद को अलग कर लिया है।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में जस्टिस दवे के रहने पर आपत्ति जाहिर की, क्योंकि अब वे खुद आयोग का हिस्सा हैं। जस्टिस दवे के सुनवाई से खुद को अलग कर लिए जाने के बाद अब चीफ जस्टिस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच गठित करेंगे।
सुबह साढे दस बजे शुरु हुई मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ‘जस्टिस दवे एनजीएसी का हिस्सा होंगे और वे इसके विरुद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई भी कर रहे हैं। वे दोनों पक्षों में नहीं रह सकते।‘ सीनियर लॉयर ने आगे कहा, उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी अगर न्यायमूर्ति यह हलफनामा दें कि सुनवाई पूरी होने तक वे आयोग के कामकाज और उसकी किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।
हालांकि अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एडवोकेट नरीमन की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि जज केवल दैनिक आधार पर प्रशासनिक मुद्दों पर ही फैसला करेंगे और ऐसा करने से उनके हितों में संघर्ष का सवाल ही पैदा नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी अटॉर्नी जनरल की दलीलों का समर्थन किया। हालांकि जस्टिस दवे ने इस केस की सुनवाई से खुद को अलग करना ही बेहतर समझा।

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