साक्ष्य कह रहे हैं गैंगरेप हुआ, हरियाणा सरकार इससे इन्कार नहीं कर सकती : हाईकोर्ट
मुरथल गैंगरेप मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा सरकार और एसआइटी को आखिरी मौका दिया जा रहा है कि वे 28 फरवरी तक पीडि़त, आरोपी और गवाहों की पहचान करे।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान मुरथल में गैंगरेप हुआ था, साक्ष्य यह बात खुद कह रहे हैं, हरियाणा सरकार इससे इनकार नहीं कर सकती है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को स्वयं संज्ञान याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई दलीलों और तथ्यों के आधार पर यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार और एसआइटी को आखिरी मौका दिया जा रहा है कि वे 28 फरवरी तक पीडि़त, आरोपी और गवाहों की पहचान करे।
वीरवार को सुनवाई आरंभ होते ही हरियाणा सरकार की ओर से एसआइटी की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि अंत:वस्त्रों पर जो सीमन पाए गए थे उनका मिलान हिरासत में लिए गए पांचों आरोपियों के सीमन से नहींं हुआ था। कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने कहा कि चालान कहा गया है कि सरकार ने गैंगरेप की धारा एफआइआर से बाहर कर दी है।
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हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस प्रकार कैसे गैंगरेप से इन्कार किया जा सकता है। सरकार ने कहा कि यह शाब्दिक गलती है। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि हरियाणा सरकार ट्रायल कोर्ट के सामने हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण दें कि पांच आरोपियों पर अपराध साबित नहींं हुआ है, न कि एफआइआर से रेप की धारा को हटाया गया है।
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कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने एक टैक्सी ड्राईवर के बयान को कोर्ट के सामने पेश करते हुए कहा कि इस बयान को एसआइटी ने जांच में शामिल नहीं किया है। राम कुमार नाम के टैक्सी ड्राईवर ने उस रात का किस्सा अपने बयान में बताया है। एसआइटी की ओर से गवाह के बयानोंं पर शक जताते हुए कहा गया कि राम कुमार को बुलाया गया था, लेकिन उसने कहा कि उसने अंदाजा लगाया था। कोर्ट मित्र ने कहा कि जब पहले बयान करवा लिए गए थे तो फिर गवाह को ममता सिंह ने क्यों बुलाया।
गैंगरेप नहीं हुआ तो क्यों सभी अधिकारी पहुंचे
गुप्ता ने कहा कि यदि मुरथल में गैंगरेप नहींं हुआ था तो आखिर क्या हुआ था। क्यों सभी आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे और उन्हें किसने कॉल करके बुलाया था। गुप्ता ने कहा कि उस रात मौजूद सभी अधिकारियों की फोन कॉल डिटेल मुझे मुहैया करवाई जाए। इसको जांचने के बाद पता चल जाएगा कि आखिर उस रात हुआ क्या था। आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ गई थी कि पुलिस के आला अधिकारी वाहनों को एस्कॉट कर वहां से बाहर लेकर जा रहे थे।
गुजरात की तरह पीडि़त आएंगे सामने
हरियाणा सरकार द्वारा पीडि़तों के सामने न आने की दलील देने पर कोर्ट मित्र ने कहा कि गुजरात दंगे इस बात के गवाह हैं कि किस प्रकार पीडि़त समय बीतने के बाद सामने आते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही होगा। हर किसी को नौकरी बचानी है और अपना कैरियर बनाना है लेकिन उन्हें विश्वास है कि एक दिन वे बोलेंगे।
निचली अदालत को चार्ज फ्रेम न करने के आदेश
सुनवाई के दौरान पांच आरोपियों के खिलाफ चालान में गैंगरेप की धारा हटाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा। हरियाणा सरकार ने कहा कि चालान पेश करना जरूरी था, वरना आरोपियों को जमानत मिल जाती। हाईकोर्ट ने कहा कि जब गैंगरेप की धारा ही निकल गई तो अब मामूली आरोप बचे हैं जिनमें आराम से जमानत मिल जाएगी। ऐसी क्या जल्दी थी चालान फाइल करने की। इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत को अगले आदेशों तक चार्ज फ्रेम न करने के आदेश दिए।
सीबीआइ का जांच से इन्कार
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने मांग की कि मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जाए। हाईकोर्ट ने इस पर सीबीआइ के कौंसिल से जवाब मांगा। सीबीआइ ने कहा कि पहले ही उन पर काम का अतिरिक्त बोझ है और ऐसे में वे इस मामले की जांच नहींं कर सकते हैं। हालांकि हाईकोर्ट आदेश जारी करता है तो हम जांच के लिए तैयार हैं।
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