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    नौ घंटे तक दुश्मनों के छक्के छुड़ा शहीद हुआ समोद सिंह

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 30 Oct 2015 05:10 AM (IST)

    सरहद पर हुई मुठभेड़ में नौ घंटे तक मथुरा का जांबाज समोद मोर्चा संभाले रहा। दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए, मगर तभी दूसरी तरफ से आई एक गोली ने जांबाज को हमेशा के लिए शांत कर दिया।

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    मथुरा। सरहद पर हुई मुठभेड़ में नौ घंटे तक मथुरा का जांबाज समोद मोर्चा संभाले रहा। दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए, मगर तभी दूसरी तरफ से आई एक गोली ने जांबाज को हमेशा के लिए शांत कर दिया। शहादत की खबर आते ही सैनिक के घर में मातम पसर गया।

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    गांव भवनपुर निवासी बच्चू सिंह के जांबाज बेटे व 14 राष्ट्रीय रायफल्स (आरआर) में राइफल मैन समोद सिंह कश्मीर में तैनात थे। ऊधमपुर में बीएसएफ बस पर हमले के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का दुर्दांत आतंकी अबू कासिम उर्फ अबुर रहमान का गिरोह के साथ बांदीपोरा के जंगल में होने का इनपुट मिला था।

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    कश्मीर रेंज के आईजी बीएसएफ एसजेएम गिलानी ने बताया कि अबू कासिम की गिरफ्तारी के लिए सेना की 14 आरआर, जे एंड के एसओजी के सात पैरा कमांडो, हेलीकॉप्टर और श्वान दस्ते के साथ बुधवार रात ऑपरेशन शुरू किया गया था। सेना की टुकड़ी लगातार आगे बढ़ते हुए कुलगाम जिले के बांदीपोरा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर खांदेपुरा तक पहुंच गई थी।

    अंधेरा होने के बावजूद सेना के जवान लगातार आतंकियों की तलाश में आगे बढ़ते रहे। सेना की टुकड़ी में समोद आगे चल रहा था। जंगल में एक स्थान पर आहट होने पर समोद ने आतंकियों को ललकारा। इसके बाद करीब नौ घंटे तक चली मुठभेड़ में अबू कासिम मारा गया। इसी ऑपरेशन में समोद सिंह को भी गोली लगी। घायल समोद ने सेना के बेस अस्पताल श्रीनगर में दुनिया को अलविदा कह दिया।

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    शुक्रवार को करवा चौथ के व्रत की तैयारी कर रही समोद की पत्नी सीमा के पास बीएसएफ मुख्यालय से फोन आया। शहादत के शब्द सुनते ही वह बेहोश होकर आंगन में गिर पड़ीं। मां को गिरता देख दोनों बच्चे शिवम (9) और नकुल (7) बिलखकर रोने लगे और पूरा परिवार गम में डूब गया। समोद के पिता बच्चू सिंह, माता मीना, भाई प्रमोद गम में डूबे हुए हैं मगर शहादत पर गर्व भी है।

    सांत्वना देने के लिए शहीद के घर पर गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग जुट गए। प्रमोद ने बताया कि छोटा भाई 12 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था। वहीं समोद के साथी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि वह बहुत बहादुर था। उसकी कुर्बानी को देश भुला नहीं पाएगा। समोद का पार्थिव शरीर शुक्रवार को गांव लाया जाएगा। इसके बाद उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

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