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श्रीनगर के 38 केंद्रों पर पुनर्मतदान में पड़े महज 709 वोट

श्रीनगर में 38 केंद्रों पर पुनर्मतदान में पड़े मात्र 2.02 फीसद वोट..

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 14 Apr 2017 07:37 AM (IST)Updated: Fri, 14 Apr 2017 07:45 AM (IST)
श्रीनगर के 38 केंद्रों पर पुनर्मतदान में पड़े महज 709 वोट

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच गुरुवार को श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के 38 केंद्रों पर हुए पुनर्मतदान पर भी अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार का असर रहा। छिटपुट हिंसा के बीच मात्र 2.02 फीसद मतदान हुआ। 27 मतदान केंद्रों पर एक भी वोट नहीं पड़ा। कुल 35169 मतदाताओं में से मात्र 709 ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस दौरान हुई हिंसा में एक दर्जन लोग घायल हो गए। इसके साथ ही मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई। 15 अप्रैल को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।

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मतदान की स्थिति देखें तो इन केंद्रों पर पुनर्मतदान का कोई लाभ नहीं हुआ। नौ अप्रैल को इन 38 बूथों पर 970 वोट पडे़ थे और गुरुवार को इन्हीं केंद्रों पर 709 लोगों ने वोट डाले। यानी पहले के मुकाबले 261 वोट कम पड़े।

गत रविवार को श्रीनगर संसदीय सीट के उपचुनाव के तहत हुए मतदान के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 38 मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान कराने का निर्देश दिया था। अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान व रविवार को हुई हिंसा का असर सुबह से ही नजर आने लगा। चुनाव बहिष्कार को कामयाब बनाने के लिए मस्जिदों से भी एलान होते रहे। इस बीच कुछ स्थानों पर नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने पीडीपी के कार्यकर्ताओं पर जाली वोट डलवाने के आरोप लगाए। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने हल्का बल प्रयोग कर दोनों गुटों को अलग किया। उपचुनाव में मुख्य मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस के साझा प्रत्याशी डॉ.फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी के नजीर अहमद के बीच है।

सभी पत्थरबाज एक जैसे नहीं : फारूक

नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सभी पत्थरबाजों को एक नजर से देखना सही नहीं है। कुछ की शिकायतें हैं, तभी वे घरों से बाहर निकले हैं। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए कश्मीर के हालात की समीक्षा करनी होगी। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. अब्दुल्ला ने कुछ पत्थरबाजों द्वारा सुरक्षाबलों पर किए गए हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों द्वारा संयम रखना सराहनीय है। अगर ऐसा न होता तो इससे हालात खराब होते।

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