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कलह से फिर अटका विलय, बैठक में शामिल नहीं हुए नीतीश

भाजपा को रोकने के लिए जनता कुनबे का विलय आपसी खींचतान में फंस गया है। विलय को लेकर शुक्रवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह के आवास पर आयोजित बहुप्रतीक्षित बैठक बेनतीजा रही। जनता परिवार के घटक अब विलय की छोड़ मोर्चो और गठबंधन की ओर जाते दिख रहे हैं। हालांकि,

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 22 May 2015 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 09:14 PM (IST)

नई दिल्ली। भाजपा को रोकने के लिए जनता कुनबे का विलय आपसी खींचतान में फंस गया है। विलय को लेकर शुक्रवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह के आवास पर आयोजित बहुप्रतीक्षित बैठक बेनतीजा रही। जनता परिवार के घटक अब विलय की छोड़ मोर्चो और गठबंधन की ओर जाते दिख रहे हैं। हालांकि, शनिवार को यह कुनबा एक बार फिर भविष्य की संभावनाएं टटोलने बैठेगा।

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शुक्रवार को हुई बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल-एस नेता एचडी देवगौड़ा मौजूद नहीं रहे। बताया गया कि नीतीश कुमार आंख के ऑपरेशन के चलते बैठक में नहीं आ सके। जबकि, देवगौड़ा समय से सूचना ना मिलने से नहीं पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के संयुक्त मोर्चे के प्रस्ताव से नाराज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आंख के ऑपरेशन के बहाने बैठक से दूरी बना ली।

गौरतलब है कि राजद प्रमुख लालू ने विलय के बजाय संयुक्त मोर्चे की वकालत करते हुए इसमें मांझी और वामदलों को शामिल करने की बात कही थी। बिहार में सत्ता की वापसी का रास्ता तलाश रहे नीतीश कुमार लालू के बयान से खासे असहज हैं। जबकि, बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में खटास पहले भी सामने आ चुकी है। जद यू के एक नेता के मुताबिक राजद प्रमुख जानबूझ कर जीतनराम मांझी के नाम को आगे बढ़ा रहे हैं। पप्पू यादव को लेकर उनका नरम रुख और अब मोर्चे की बात। ऐसा लगता है कि उनकी राजनीतिक मंशा कुछ और है।

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विलय के बाद बनने वाले नेता को लेकर जद-यू के बयान से सपा मुखिया मुलायम सिंह भी खासे नाराज हैं। अपनी पार्टी में विलय पर विरोध के बावजूद आगे बढ़ रहे मुलायम जद-यू सांसद केसी त्यागी के सभी दलों के मिलकर नई पार्टी का अध्यक्ष चुनने के बयान के बाद से इस कवायद से उत्साहित नहीं हैं। सपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इस विलय को लेकर पार्टी कार्यकर्ता पहले से विरोध में हैं। ऐसे में अगर नेताजी की भूमिका भी विलय में स्पष्ट नहीं तो इस कवायद का कोई मतलब नहीं। जनता परिवार के घटक शनिवार को एक बार फिर विलय, मोर्चे और गठबंधन पर बात करने के लिए बैठेंगे। माना जा रहा है मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर बैठक में सीटों का बंटवारा ही चर्चा का बिंदू रहेगा।

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