नेहरू सरकार की चुप्पी से लुटा आजाद हिंद फौज का खजाना
1945 में विमान हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत अब तक एक रहस्य है, लेकिन इसके साथ एक और चौंकाने वाले राज का खुलासा हुआ है। दरअसल, नेताजी ने आजाद हिंद फौज (आइएनए) के बैंक के लिए जो खजाना जुटाया था, उसे उनके करीबियों ने ही लूटा और
जागरण ब्यूरो, कोलकाता। 1945 में विमान हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत अब तक एक रहस्य है, लेकिन इसके साथ एक और चौंकाने वाले राज का खुलासा हुआ है। दरअसल, नेताजी ने आजाद हिंद फौज (आइएनए) के बैंक के लिए जो खजाना जुटाया था, उसे उनके करीबियों ने ही लूटा और सारी जानकारी होने के बावजूद केंद्र की तत्कालीन जवाहर लाल नेहरू सरकार आंख मूंदे बैठी रही।
इस खुलासे के बाद नेताजी के प्रपौत्र व नेताजी परिवार के प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने शुक्रवार को कोलकाता में कहा कि आइएनए का पैसा भारत के नागरिकों का है।
चंद्र बोस ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए इस पैसे को लोगों ने नेताजी को दिया था। अब मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसकी उच्चस्तरीय जांच कराए। चंद्र बोस ने कहा कि नेताजी को लेकर हाल में जो खुलासे हुए हैं, वह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
अर्से से इस बात की मांग की जा रही है कि नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे देश के सामने सच्चाई आए। नेताजी के भतीजे अद्वेंदु बोस ने कहा कि आइएनए का खजाना पूरे देश का था। इसे खोजा जाना चाहिए और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है कि एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया है कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज को खड़ा करने के लिए आम लोगों से पैसे लेकर खजाना तैयार किया था, जिसमें 65 किलो से भी ज्यादा सोना था। इसे भारतीयों ने आजाद हिंद फौज का बैंक बनाने के लिए सौंपा था। बाद में इस खजाने को लूट लिया गया, लेकिन तत्कालीन नेहरू सरकार चुपचाप देखती रही। बताया जाता है कि उस खजाने की कीमत आज करोड़ों में होती।