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सरहद पार खूब बोली जाती है हिंदी

देश में लगातार उपेक्षा की शिकार हो रही ¨हदी सरहद पार अपना सिर गर्व से ऊंचा कर चलती है। विश्व के कई देशों में न सिर्फ ¨हदी को पढ़ाया-लिखाया जाता है, बल्कि इसे बोलने-समझने वालों की संख्या भी चौंकाने वाली है। ऐसे ही कुछ देशों में ¨हदी के वर्चस्व के आंकड़े इसके गौरव में चार-चांद लगाते हैं

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 10:50 AM (IST)

पटना, जागरण संवाददाता। देश में लगातार उपेक्षा की शिकार हो रही ¨हदी सरहद पार अपना सिर गर्व से ऊंचा कर चलती है। विश्व के कई देशों में न सिर्फ ¨हदी को पढ़ाया-लिखाया जाता है, बल्कि इसे बोलने-समझने वालों की संख्या भी चौंकाने वाली है। ऐसे ही कुछ देशों में ¨हदी के वर्चस्व के आंकड़े इसके गौरव में चार-चांद लगाते हैं।

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नेपाल: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में ¨हदी समझने-बोलने वालों की संख्या 90 प्रतिशत तक है। यहां 1960 तक शिक्षा का माध्यम ¨हदी रहा था, लेकिन आज भी माध्यमिक स्तर पर ¨हदी ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। दरअसल, नेपाली व ¨हदी दोनों की लिपि देवनागरी ही है।

पाकिस्तान: पाकिस्तान की राजभाषा उर्दू है, जो मूल रूप से भारत की ही भाषा है। उर्दू और ¨हदी का व्याकरण प्राय: एक ही है। मुख्य अंतर लिपि का है। भारत के परस्पर विरोधी इस पड़ोसी देश में भी ¨हदीभाषियों की संख्या ठीक-ठाक है।

भूटान: बौद्ध मतावलंबियों की संख्या अधिक होने के नाते भूटान की भाषा पर पाली, संस्कृत व नेपाली का प्रभाव है। वहां के पांच स्कूलों में ¨हदी के पठन-पाठन की भी व्यवस्था है।

बांग्लादेश: बांग्लादेश की राजभाषा बांग्ला है, जो भारत की भी एक भाषा है। बांग्ला व ¨हदी दोनों ही भारोपीय परिवार की भाषाएं हैं। लिहाजा इस देश में भी ¨हदी बोलने-समझने वालों की संख्या अधिक है।

श्रीलंका: श्रीलंका की राजभाषा 'सिंहली' है। यह भाषा भी आधुनिक आर्यभाषा वर्ग की एक भाषा है। कलोणिय विश्वविद्यालय में ¨हदी भाषा-साहित्य व संस्कृति के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है। वहां के परीक्षा विभाग द्वारा संचालित उच्चतम पाठशाला प्रमाण-पत्र परीक्षा के लिए ¨हदी भी एक विषय के रूप में शामिल है।

मालदीव: मालदीव की भाषा 'दिवेही' है, जो भारोपीय परिवार की एक भाषा है। यह भारत के एक द्वीप 'मिनिकोय' में भी बोली जाती है, जहां इसे 'महल' कहा जाता है। इस भाषा और ¨हदी में अद्भुत साम्य है। इसकी संख्याएं ¨हदी से बहुत मिलती-जुलती हैं।

म्यांमार: म्यांमार ब्रिटिश भारत का ही एक अंग रहा था। इसी कारण संपर्क भाषा के रूप में ¨हदी यहां पहले से ही प्रचलित है।

इंडोनेशिया: यहां की भाषा का नाम 'बाहासा इंडोनेशिया' है, जिसमें 18 प्रतिशत से अधिक शब्द संस्कृत के हैं। इंडोनेशिया का एक द्वीप बाली तो ¨हदू बहुल द्वीप है, जहां ¨हदी बोलने-समझने वालों की संख्या खूब है।

हांगकांग: हांगकांग के एक खास बाजार में तो ¨हदी बोलकर भी काम चल सकता है। यहां 90 फीसद से अधिक आबादी ¨हदी समझती है।

थाईलैंड: इस देश में ¨हदी जानने वालों की संख्या लगभग एक लाख है। इनमें से अधिकांश दूसरे विश्व युद्ध के समय थाइलैंड में बसे थे।

चीन: चीनी सहर्ष स्वीकार करते हैं कि उनकी भाषा के निर्माण में भारतीय विद्वान पाणिनी के व्याकरण का विशेष योगदान है। चीन की ऐतिहासिक दीवार की स्वागत-शिला पर 'ओम नमो भगवते' अंकित है।

जापान: यहां आठ विश्वविद्यालयों में ¨हदी की पढ़ाई होती है। जापान रेडियो से प्रतिदिन ¨हदी में दो बार प्रसारण होता है।

हिंदी भाषी राज्यों की आबादी 46 करोड़ से अधिक

भाषा और भूमि

3500 भाषाओं और बोलियों का प्रयोग किया जाता है विश्व में, किंतु लिखित प्रयोग में 500 से अधिक भाषाओं या बोलियों का इस्तेमाल नहीं होता। मौखिक और लिखित दोनों प्रकार के संचार में काम आने वाली भाषाओं में से लगभग 16 ऐसी हैं, जिनका व्यवहार 5 करोड़ से अधिक लोग करते हैं।

ये 16 प्रमुख भाषाएं हैं: अरबी, अंग्रेजी, इतालवी, उर्दू, चीनी परिवार की भाषाएं, जर्मन, जापानी, तमिल, तेलुगु, पुर्तगाली, फ्रांसीसी, बांग्ला, मलय-बहासा (भाषा), रूसी, स्पेनी और हिंदी।

* विश्व की 16 प्रमुख भाषाओं की सूची में 05 भाषाएं भारत की शामिल हैं। भारतीय भाषाएं बोलने वाले व्यक्ति भारत सहित 137 देशों में हैं।

* 179 भाषाएं और 544 बोलियों को भारत में मान्यता देते हैं प्रसिद्ध भाषाविद ग्रियर्सन। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में कुल भाषाओं की संख्या 418 है। इनमें 407 जीवित भाषाएं हैं, जबकि 11 लुप्त हो चुकी हैं।

* 8 भाषाओं को भारतीय संविधान आठवीं सूची में मान्यता देता है। देवनागरी लिपि में हिंदी भारतीय संघ की राजभाषा है, जबकि विभिन्न प्रदेशों की अपनी-अपनी सरकारी भाषाएं हैं। अंग्रेजी भारतीय संघ की दूसरी राजभाषा है।

* 73 फीसद लोग भारोपीय परिवार की, 25 फीसद द्रविड़ परिवार की, 1.3 फीसद आस्ट्रिक परिवार की और 0.7 फीसद चीनी-तिब्बत परिवार की भाषाएं बोलते-समझते हैं भारत में।

* भारोपीय परिवार: यह भारतीय भाषाओं में सबसे महत्वपूर्ण भाषा परिवार है और देश की प्रमुख भाषाएं हिंदी, बंगाली, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिंधी, असमी, उड़िया, कश्मीरी, उर्दू, मैथिली और संस्कृत इसमें शामिल हैं।

* द्रविड़ परिवार: यह देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भाषा परिवार है, जिसमें दक्षिण भारत में बोली जाने वाली लगभग सभी भाषाएं शामिल हैं। इस परिवार की सात मुख्य भाषाएं हैं: कन्नड़, तमिल, मलयालम, तेलुगु, कोडागू, तोडा और कोटा।

* ऑस्ट्रिक परिवार: ऑस्ट्रिक भाषाएं मध्य और पूर्वी भारत के पहाड़ी व वन इलाकों में बोली जाती हैं। ये काफी प्राचीन भाषाएं हैं और इनको बोलने वालों को प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में निषाद कहा जाता था। इस भाषा परिवार की सबसे अहम भाषा संथाली है। मुंडा जनजाति की बोली मुंदरी दूसरी सबसे महत्वपूर्ण भाषा है।

* चीनी-तिब्बत परिवार: इस भाषा परिवार के बोलने वाले उत्तरी बिहार, उत्तरी बंगाल और असम में पाए जाते हैं। इन भाषाओं को भारोपीय परिवार की भाषाओं से अधिक पुराना माना जाता है और इनके बोलने वालों को प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में किरात के नाम से जाना जाता था।

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