सरकार ने बीईएमएल में रणनीतिक विनिवेश की तैयारी
देश में मेट्रो रेल के संचालन में बीईएमएल की हिस्सेदारी काफी अहम हो गई है। कंपनी मेट्रो के लिए कोच व ट्रेन का निर्माण करती है।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र के कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश का फैसला लेने के बाद अब सरकार बीईएमएल में रणनीतिक निवेश की भी तैयारी कर ली है। सरकार का इरादा इसमें 26 फीसद इक्विटी हिस्सेदारी किसी रणनीतिक साझीदार को बेचने का है। हालांकि अभी यह तय नहीं सरकार इससे पहले कंपनी के विभिन्न विभागों को अलग कंपनियों में डिमर्जर करेगी या पूरी कंपनी का रणनीतिक विनिवेश होगा।
सरकार ने इस साल जनवरी में ही सैद्धांतिक तौर पर बीईएमएल में रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दे दी थी। कंपनी में सरकार की मौजूदा इक्विटी हिस्सेदारी 54.03 फीसदी है। शेयर बाजार में सूचीबद्ध यह कंपनी मूलत: तीन क्षेत्रों में कार्यरत है। पहला रक्षा व एयरोस्पेस, दूसरा रेल व मेट्रो और तीसरा माइनिंग व कंस्ट्रक्शन। रणनीतिक विनिवेश का फैसला लेते वक्त इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि कंपनी की तीनों डिविजनों को अलग अलग कर दिया जाए।
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चूंकि इसका बड़ा हिस्सा रक्षा क्षेत्र से जुड़ा है लिहाजा यह विचार आया कि रणनीतिक सेक्टर होने के नाते इस हिस्से को सरकार अपने नियंत्रण में रखे। लेकिन जानकारों का मानना है कि अब यह संभव नहीं लग रहा क्योंकि डिमर्ज करने से कंपनी की वैल्यूएशन घट जाएगी और कंपनी को रणनीतिक विनिवेश के तौर पर पेश करने की संभावनाएं घट जाएंगी। लिहाजा सूत्र बताते हैं कि अब सरकार बीईएमएल को उसके मौजूदा स्वरूप में ही रणनीतिक विनिवेश के लिए प्रस्तुत करेगी।
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शेयर बाजार में कंपनी के शेयर की कीमत 1353 रुपये के आसपास चल रही है। इससे सरकार को इसके विनिवेश से अच्छी खासी रकम मिलने की उम्मीद है। कंपनी के पास करीब 20000 करोड़ रुपये की कीमत की जमीन भी है। रणनीतिक विनिवेश के लिए कंपनी की इक्विटी की कीमत तय करते वक्त वैल्यूएशन का यह भी आधार बनेगा। इसके अलावा कंपनी का मेट्रो व रेल बिजनेस भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है।
देश में मेट्रो रेल के संचालन में बीईएमएल की हिस्सेदारी काफी अहम हो गई है। कंपनी मेट्रो के लिए कोच व ट्रेन का निर्माण करती है। देश में इस वक्त चल रही मेट्रो ट्रेनों में 60 फीसद हिस्सेदारी बीईएमएल की है। कंपनी ने 2015-16 में 56.65 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था।
बीईएमएल के रणनीतिक विनिवेश पर सार्वजनिक उपक्रमों की शीर्ष संस्था स्कोप के महानिदेशक डॉ. यूडी चौबे ने सीधी टिप्पणी करने से बचते हुए केवल इतना ही कहा कि इस प्रकार का निर्णय लेने का अधिकार कंपनी के स्वामी (सरकार) का है। वह देश के मैक्रो और माइक्रो अर्थव्यवस्था के सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र है।