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ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर अफसरों पर बरसे रेलमंत्री सुरेश प्रभु

वर्ष 2016-17 के दौरान संपूर्ण रेलवे में ट्रेनो का समय पालन स्तर केवल 80 फीसद रहा। लेकिन पहली अप्रैल से 16 अप्रैल के हफ्ते में यह गिरकर 79 रह गया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 02:22 AM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 06:37 AM (IST)
ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर अफसरों पर बरसे रेलमंत्री सुरेश प्रभु
ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर अफसरों पर बरसे रेलमंत्री सुरेश प्रभु

संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अब ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने रेलवे अफसरों को चेतावनी दी है कि यदि वे ट्रेनो का समयबद्ध संचालन सुनिश्चित करने में विफल रहे तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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प्रभु ने जोन महाप्रबंधकों तथा मंडल प्रबंधकों से कहा है कि उन्हें रात दस बजे से सुबह सात बजे के बीच की शिफ्ट में वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेन संचालन की निगरानी पर लगाना चाहिए, ताकि समस्याओं का पता लगाकर मौके पर निदान किया जा सके। प्रभु ने नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) की खामियां दूर करने के निर्देश भी दिए हैं। पाया गया है कि एनटीईएस की वेबसाइट पर लेट चल रही ट्रेनों को भी सही समय पर चलते दिखाता है। क्रिस के अधिकारियों को लिखे पत्र में प्रभु ने इस ओर ध्यान दिलाया है और तुरंत दुरुस्त करने की हिदायत दी है।

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प्रभु ने अधिकारियों से कहा है कि न केवल उन्हें अपने मातहतों के सकल कार्यप्रदर्शन की पड़ताल करनी है, बल्कि यह भी देखना है कि ट्रैक और उपकरणों की विफलता पर अंकुश लग रहा है या नहीं। इस तरह के मामलों का पता लगते ही अफसरों को कंट्रोल आफिस को सूचना देते हुए पड़ोसी मंडलों के साथ तालमेल बिठाकर ट्रेनो को कम से कम लेट होने देने के उपाय करने चाहिए।

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वाराणसी समेत 11 मंडल लेटलतीफ 

मंडल के हिसाब से देखें तो जिन 11 मंडलों में ट्रेनो का समय पालन स्तर सर्वाधिक खराब पाया गया है उनमें वाराणसी, मुंबई, संबलपुर, दानापुर, समस्तीपुर, झांसी, जबलपुर के नाम शामिल हैं। इनमें भी वाराणसी मंडल को लेकर प्रभु ने खास चिंता जताई है जो कि प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है। प्रभु ने मंडल प्रबंधक को इसे तुरंत दुरुस्त करने की ताकीद की है।

वर्ष 2016-17 के दौरान संपूर्ण रेलवे में ट्रेनो का समय पालन स्तर केवल 80 फीसद रहा। लेकिन पहली अप्रैल से 16 अप्रैल के हफ्ते में यह गिरकर 79 रह गया। पिछले साल इसी अवधि में यह 84 फीसद था। सबसे ज्यादा लेटलतीफी पूर्वोत्तर और दक्षिण-पूर्व रेलवे की ट्रेनों में हो रही है जहां समयपालन में 11-11 फीसद की गिरावट देखने में आई है। इसके बाद मध्य रेलवे का नंबर है जहां गिरावट का स्तर 10 फीसद है। लगभग 8.9 फीसद गिरावट के साथ पूर्व रेलवे तीसरे, 8 फीसद गिरावट के साथ पश्चिम रेलवे चौथे तथा 6.7 फीसद गिरावट के साथ कोंकण रेलवे पांचवें स्थान पर है।

कितनी ट्रेने लेट 

रेलवे ने 2016-17 के दौरान कुल 5,78,552 ट्रेने (2015-16 के मुकाबले 11393 ट्रेने ज्यादा) चलाई। इनमें समय से चलने वाली (पंद्रह मिनट तक लेट) ट्रेनों की संख्या 4,42,704 (2015-16 में 439627) थी। इस तरह पहले के मुकाबले 3077 ज्यादा ट्रेने समय पर चलीं।

उपकरण विफलता बढ़ी

पिछले एक साल में ट्रैक और उपकरणों की विफलता के मामलों में इजाफा हुआ है। वर्ष 2016-17 में फरवरी तक उपकरणों की विफलता के 9278 मामले सामने आ चुके थे। इनमें 575 मामले ट्रैक में दरार या वेल्डिंग टूटने के थे। इससे पहले 2015-16 में जनवरी तक उपकरण विफलता के कुल 9683 मामलों में 484 पटरी टूटने या वेल्डिंग खुलने के थे।

व्यस्त रूटों पर लेटलतीफी ज्यादा 

दिल्ली-गुवाहाटी, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता रूट पर क्षमता से 150 से 200 फीसद तक यातायात है। इन पर दबाव कम करने के लिए रेलवे जगह-जगह इन लाइनों का दोहरीकरण व तिहरीकरण करा रहा है। पिछले साल इन कार्यो के लिए कुल मिलाकर 1607169 घंटे यातायात को रोका गया। जबकि इससे पिछले साल इन कार्यो के लिए 12 फीसद कम घंटों तक यातायात रोका गया था। 


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