शीतकालीन सत्र को लेकर आकलन में जुटी सरकार
कई घटनाओं को लेकर गर्म हुए राजनीतिक माहौल के बीच जहां आगामी शीतकालीन सत्र के सुचारू रहने पर आशंका के बादल घिरने लगे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई घटनाओं को लेकर गर्म हुए राजनीतिक माहौल के बीच जहां आगामी शीतकालीन सत्र के सुचारू रहने पर आशंका के बादल घिरने लगे हैं। वहीं सरकार ने भी सत्र को लेकर चर्चा तो कर ली है लेकिन तिथि अगले सप्ताह तय कर सकती है। फिलहाल यह मन बन चुका है कि सत्र की शुरूआत में ही संविधान दिवस मनाया जाएगा। शायद पूरे दिन उस पर बहस का प्रस्ताव हो।
बुधवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई। बताते हैं कि 19 नवंबर के बाद शीतकालीन सत्र की शुरूआत हो सकती है। पूरी संभावना है कि संविधान दिवस मनाने की प्रस्ताव शुरूआत में ही लाया जाए। दरअसल, यह विपक्ष की उस रणनीति के लिए काट के रूप में काम करेगा जिसके तहत विपक्ष मानसून सत्र की तरह ही आगामी सत्र को भी सरकार के लिए मुश्किल करने की कोशिश मे हैं। देश में सामाजिक माहौल को लेकर कांग्रेस पहले ही विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील कर चुकी है। ऐसे में संविधान से जुड़ा मसला होगा तो विपक्ष के लिए विरोध आसान नहीं होगा।
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बैठक में राजनाथ समेत अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, सदानंद गौड़ा भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार सत्र से जुड़े कई विषयों पर चर्चा हुई। फिलहाल राज्यसभा में 53 विधेयक लंबित हैं। गौरतलब है कि राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है। शीतकालीन सत्र में जीएसटी विधेयक सरकार के लिए सबसे अहम है जिसे विपक्ष ने रोक दिया था। विपक्ष और खासकर कांग्रेस का रुख अभी भी नरम नहीं हुआ है। जाहिर है कि शीतकालीन सत्र के सुचारू रहने के आसार बहुत कम हैं। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक सरकार इसका फैसला लेगी।

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