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अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं पर गिर सकती है गाज

लंबे समय से घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की तैयारी कर रही सरकार अब अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं (ऑटोनॉमस बॉडीज) को भी बंद करने की दिशा में कदम उठा सकती है

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 29 Oct 2016 01:03 AM (IST)
अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं पर गिर सकती है गाज

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। लंबे समय से घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की तैयारी कर रही सरकार अब अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं (ऑटोनॉमस बॉडीज) को भी बंद करने की दिशा में कदम उठा सकती है।

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इसकी शुरुआत इन संस्थाओं के कामकाज की समीक्षा के बाद होगी। केंद्र ने नीति आयोग को यह जिम्मा सौंपा है। माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिश के आधार पर कुछ स्वायत्त संस्थाओं को बंद किया जा सकता है।

केंद्र सरकार में स्वायत्त संस्थाओं की संख्या बढ़ते हुए 2012 में 533 हो गयी है जबकि 1955 में यह 35 थी। इन पर भारी भरकम 60,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च होता है। सूत्रों का कहना है कि स्वायत्त संस्थाओं की समीक्षा के बाद सालाना कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की बचत सरकार को होने का अनुमान है।

सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय के आदेश पर गठित व्यय प्रबंधन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस तरह की संस्थाओं के प्रदर्शन और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता की समीक्षा करने की सिफारिश की थी। यही वजह है कि सरकार ने अब नीति आयोग को यह काम करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों ने अपने यहां स्वायत्त संस्थाओं के प्रदर्शन की समीक्षा की है जिसके बाद उनके यहां सरकारी धन की काफी बचत हुई है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण ब्रिटेन हैं जहां करीब 900 स्वायत्त संस्थाएं थीं लेकिन जब इनके कामकाज की समीक्षा की गयी तो 285 संस्थाओं को बंद कर दिया गया। इससे ब्रिटेन की सरकार को भारी भरकम दो अरब डालर की बचत हुई।

ऐसे में माना जा रहा है कि देश में स्वायत्त संस्थाओं के कामकाज की समीक्षा होने और अप्रासंगिक संस्थाओं को बंद करने से सरकारी खजाने को बड़ी बचत हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि घाटे में सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के लिए पीएसयू की सूची तैयार करने का जिम्मा भी नीति आयोग को सौंपा है। वृहस्पतिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने नीति आयोग की सिफारिश पर पीएसयू के विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी है।

घाटे में चल रहे पीएसयू को बंद करने की सूची भी नीति आयोग ने तैयार की है। ऐसे में माना जा रहा है कि आयोग अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं को भी खत्म करने की सिफारिश कर सकता है।

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