लड़की की मांग पर अपहरण के मुकदमे निरस्त
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण के एक मामले में लड़की से बात करने के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दर्ज उसके अपहरण के मुकदमे निरस्त कर दिए। कोर्ट ने ये आदेश लड़की की उस याचिका पर जारी किए जिसमें उसने अपहरण के आरोपी को पति बताते हुए मामला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण के एक मामले में लड़की से बात करने के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दर्ज उसके अपहरण के मुकदमे निरस्त कर दिए। कोर्ट ने ये आदेश लड़की की उस याचिका पर जारी किए जिसमें उसने अपहरण के आरोपी को पति बताते हुए मामला निरस्त करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सचाई जानने के लिए लड़की को कोर्ट में बुलाया था। वह अपने पति के साथ पेश हुई थी। न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर व एसए बोबडे की पीठ ने लड़की से बात करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उत्तराखंड के हरिद्वार में उसके पति के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और मानव तस्करी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे निरस्त कर दिए। लड़की ने कोर्ट के सवालों के जवाब में बताया कि आरोपी उसका पति है और उससे उसने अपनी इच्छा से शादी की है। वे दोनों सुखी जीवन बिता रहे हैं और उनका दो वर्ष का बच्चा भी है।
लड़की के वकील डीके गर्ग का आरोप था कि लड़की की मां और सौतेला पिता उसे बेचना चाहता था जिसके कारण वह आरोपी के साथ भाग गई थी और उसने अपनी मर्जी से 2011 में मुस्लिम रीति रिवाज से उसके साथ शादी की थी। लड़की 21 वर्ष की बालिग है। आरोपी युवक ने भी लड़की के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों के वकीलों की भी दलीलें सुनीं। वे मुकदमा जारी रखने की दलील दे रहे थे। पीठ ने सबका पक्ष सुनने के बाद मुकदमे निरस्त करते हुए कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए मामले को आगे जारी रखना ठीक नहीं लगता।