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बिधूड़ी-मुखी के बीच अटकी दिल्ली सरकार

दिल्ली में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार बनाने की कवायद मुख्यमंत्री पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से अटकी हुई है। मुकाबला रामवीर सिंह बिधूड़ी और प्रो. जगदीश मुखी के बीच है। भाजपा विधायक दल का नेता किसे बनाया जाए, इस मुद्दे पर फैसला होना बाकी है। समझा जा रहा है कि इस मामले में संघ परिवार के

By Edited By: Published: Sun, 15 Jun 2014 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jun 2014 10:50 AM (IST)

नई दिल्ली, [अजय पांडेय]। दिल्ली में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार बनाने की कवायद मुख्यमंत्री पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से अटकी हुई है। मुकाबला रामवीर सिंह बिधूड़ी और प्रो. जगदीश मुखी के बीच है। भाजपा विधायक दल का नेता किसे बनाया जाए, इस मुद्दे पर फैसला होना बाकी है। समझा जा रहा है कि इस मामले में संघ परिवार के वीटो की बेहद अहम भूमिका होगी।

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जानकार सूत्रों ने बताया कि अब सवाल यह नहीं है कि सरकार कैसे बनेगी और बहुमत कैसे साबित होगा? यदि भाजपा सरकार बनाती है तो उसे कांग्रेस के छह बागी विधायकों का समर्थन मिलना तय है जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के भी कम से कम चार विधायक अपनी कुर्सी दांव पर लगाने की कीमत पर भी भावी सरकार को सदन में समर्थन दे सकते हैं। मतलब यह है कि अब देरी समर्थन देने वालों की ओर से नहीं, बल्कि समर्थन लेने वालों की ओर से हो रही है। किसी भी दल का विधायक तत्काल चुनाव में जाने को तैयार नहीं है। नई सरकार के गठन की भूमिका इसी हकीकत की नींव पर लिखी गई। यही वजह थी कि कांग्रेस के विधायकों ने भी अपना समर्थन देने का भरोसा जताया। लेकिन यह सच है कि इन्होंने बिधूड़ी से अपने करीबी रिश्तों के तहत ही भावी सरकार को सहयोग देने का फैसला किया। बताते हैं कि ये तमाम लोग बिधूड़ी के साथ हैं। लेकिन अब दिक्कत यह है कि किसानों, गांव के लोगों, झुग्गी-झोपड़ी और अनधिकृत कॉलोनियों की सियासत करने वाले बिधूड़ी हाल ही में भाजपा में आए हैं। ऐसे में पार्टी के सामने यह सवाल जरूर है कि क्या उन्हें विधायक दल का नेता बना दिया जाए।

दूसरी ओर जगदीश मुखी भाजपा के अनुभवी नेता हैं। मदनलाल खुराना की अगुवाई में बनी दिल्ली की पहली सरकार में वह वित्त मंत्री रहे और लगातार पांच बार से विधायक हैं। पार्टी के प्रति उनकी वफादारी पर किसी को कोई शक नहीं है। यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल होता तो डॉ. हर्षवर्धन के बाद वे मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार होते। लेकिन सरकार अन्य दलों के विधायकों को जोड़कर बनाई जानी है, लिहाजा यहां यह बात महत्वपूर्ण हो गई है कि इनका समर्थन किसके साथ है।

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