सीबीआइ की नजर में बदायूं कांड के आरोपी बेगुनाह
बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार पांच आरोपी यदि अदालत में जमानत की अर्जी लगाते हैं, तो सीबीआइ उसका विरोध नहीं करेगी। सीबीआइ का मानना है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने न सिर्फ गलत एफआइआर दर्ज की, बल्कि गलत लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार पांच आरोपी यदि अदालत में जमानत की अर्जी लगाते हैं, तो सीबीआइ उसका विरोध नहीं करेगी। सीबीआइ का मानना है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने न सिर्फ गलत एफआइआर दर्ज की, बल्कि गलत लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया। पॉलीग्राफिक टेस्ट से इन पांचों आरोपियों के निर्दोष होने की पुष्टि हो चुकी है। जाहिर है संदेह की सुई अब लड़कियों के परिवार वालों पर है।
सीबीआइ के एक अधिकारी ने बदायूं दुष्कर्म मामले में यूपी पुलिस की एफआइआर को पूरी तरह फर्जी बताते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि पॉलीग्राफिक टेस्ट से पांचों आरोपी बेगुनाह साबित हुए हैं और उनके खिलाफ दूसरे सबूत भी नहीं हैं। इसीलिए यदि ये लोग अदालत में जमानत की अर्जी लगाते हैं तो सीबीआइ उनका विरोध नहीं करेगी। यही नहीं, जरूरत पड़ने पर सीबीआइ खुद भी अदालत में इन्हें रिहा करने की अपील कर सकती है।
नामजद आरोपियों को क्लीन चिट के बाद संदेह की सुई पीड़ित लड़कियों के परिवारवालों पर टिक गई है। लेकिन परिवार वालों की पॉलीग्राफिक टेस्ट की रिपोर्ट आने के पहले सीबीआइ इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बोल रही है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मामले में कुछ और लोगों का भी पॉलीग्राफिक टेस्ट कराया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि इस कांड की सच्चाई से जल्दी पर्दा उठेगा लेकिन इसके पहले घटनाक्रम की सारी कड़ियों को जोड़ना जरूरी है।