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ममता तक पहुंची सारधा की आंच

बहुचर्चित करोड़ों रुपये के सारधा चिट फंड घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती दिख रही है। मामले की जांच कर रही सीबीआइ के इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी) और सारधा समूह के बीच तार जुड़े होने का खुलासा करने के बाद विपक्षी दल माकपा, कांग्रेस और भाजप

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 08:38 AM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 08:39 AM (IST)
ममता तक पहुंची सारधा की आंच

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बहुचर्चित करोड़ों रुपये के सारधा चिट फंड घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती दिख रही है। मामले की जांच कर रही सीबीआइ के इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी) और सारधा समूह के बीच तार जुड़े होने का खुलासा करने के बाद विपक्षी दल माकपा, कांग्रेस और भाजपा ने ममता की घेरेबंदी तेज कर दी है। इससे तृणमूल कांग्रेस में बेचैनी साफ नजर आने लगी है।

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इसकी सबसे बड़ी वजह सारधा समूह और आइआरसीटीसी के बीच अनुबंध है। यह तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल में ही परवान चढ़ा था। आइआरसीटीसी और सारधा समूह ने वर्ष 2010 में टूरिज्म परियोजना को लेकर एक अनुबंध किया था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सारधा टूर्स एवं ट्रवेल्स ने भारत तीर्थ योजना के तहत आधिकारिक रूप से आइआरसीटीसी के लिए दक्षिण भारत पैकेज टूर का आयोजन किया था। भारत तीर्थ योजना की शुरुआत ममता बनर्जी ने 2010-11 में अपने रेल बजट में की थी। इस नए खुलासे से घिरी तृणमूल कांग्रेस ने अब बचाव के लिए केंद्र सरकार पर आक्रामक रुख अपनाने का फैसला किया है। इसकी वानगी मंगलवार को तब देखने को मिली जब पार्टी महामंत्री मुकुल राय ने केंद्र सरकार पर सीबीआइ को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

राय ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि पहले सीबीआइ को कांग्रेस ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन के रूप में जाना जाता था। अब भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। सीबीआइ ने अपना चरित्र नहीं बदला है। पूर्व रेल मंत्री ने दावा किया कि सीबीआई कोई स्वायत्त संस्था नहीं है जो अपने काम अपने आप करे। सीबीआइ एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करती है। विपक्ष के सारधा समूह के स्वामित्व वाले श्रद्धा टूर्स एंड ट्रेवेल्स को आइआरसीटीसी द्वारा अनावश्यक रूप से लाभ पहुंचाने के विपक्ष के आरोपों के बारे में पार्टी का रूख पूछने पर राय ने अनभिज्ञता जताई। कहा, समझौता मेरे जिम्मा संभालने से पहले हुआ था। उन्होंने कहा कि कैग या रेलवे अंकेक्षण जैसे कई ऐसे संगठन हैं जो समझौते पर गौर कर सकते हैं। तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदी को रेलमंत्री पद से हटाए जाने के बाद राय ने यह जिम्मेदारी संभाली थी। सारधा कांड में परिवहन मंत्री मदन मित्रा को किसी भी वक्त सीबीआइ पूछताछ के लिए बुला सकती है। जिस तरह से एक के बाद एक तृणमूल नेताओं का नाम इस प्रकरण में जुड़ रहे है, उससे विपक्ष काफी खुश है।

उधर, तृणमूल महामंत्री मुकुल राय पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि सीबीआइ मामले के पीछे छिपे सच को बेनकाब कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मामले की जांच प्रक्रिया चल रही है और कोई केंद्रीय मंत्री इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआइ जांच कर रही है और ऐसी स्थिति में तृणमूल कांग्रेस को निराधार टिप्पणी नहीं करना चाहिए।

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