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सेंसेक्स में सवा साल की सबसे बड़ी गिरावट

दलाल स्ट्रीट में मंगलवार को हाहाकार मच गया। कच्चे तेल की लुढ़कती कीमतों के बीच रूस में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से घबराए विदेशी निवेशकों ने शेयरों में ताबड़तोड़ बिकवाली की। इससे बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 538.12 यानी 1.97 फीसद लुढ़ककर 27000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 16 Dec 2014 02:30 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 03:04 AM (IST)

मुंबई। दलाल स्ट्रीट में मंगलवार को हाहाकार मच गया। कच्चे तेल की लुढ़कती कीमतों के बीच रूस में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से घबराए विदेशी निवेशकों ने शेयरों में ताबड़तोड़ बिकवाली की। इससे बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 538.12 यानी 1.97 फीसद लुढ़ककर 27000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे पहुंच गया। 16 माह की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज करते हुए यह संवेदी सूचकांक 26781.44 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले तीन सितंबर, 2013 को सेंसेक्स 651.47 अंक लुढ़का था। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 152 अंक यानी 1.85 फीसद टूटकर 8067.60 अंक पर पहुंच गया।

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विदेशी निवेशक पहले से ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व की होने वाली महत्वपूर्ण बैठक को लेकर घबराए हुए थे। फिर अचानक रूस के केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती के एलान ने उन्हें और आशंकित कर दिया। इससे एशियाई बाजारों में तेज गिरावट आई। कच्चे तेल में जारी गिरावट ने अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर चिंता पैदा कर दी है। घरेलू स्तर पर बढ़ता व्यापार घाटा और रुपये की कमजोरी चिंता का सबब बने हुए हैं।

तीस शेयरों वाला सेंसेक्स इस दिन 27181.18 अंक पर कमजोर खुला। इसने 27199.37 अंक का ऊंचा स्तर छुआ। शुरू से ही मंदडिय़ों ने बाजार को अपनी गिरफ्त में ले लिया। अंतिम कारोबारी घंटों में इनकी तेज बिकवाली के चलते सेंसेक्स ने 26736.23 अंक का निचला स्तर छुआ।

बीएसई के सूचकांकों में मेटल, रीयल एस्टेट, एफएमसीजी, बैंकिंग और कंज्यूमर गुड्स खंड की कंपनियों के शेयरों को बिकवाली की सबसे ज्यादा मार पड़ी। इसके उलट टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में निवेशकों ने दिलचस्पी ली। सेंसेक्स की तीस कंपनियों में 27 के शेयर गिरे, जबकि तीन में बढ़त दर्ज की गई।

वहीं दूसरी ओर डालर के मुकाबले रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है। आज ये 13 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया। एक्सपोर्ट में आई कमी और इंपोर्ट अधिक होने से सरकार का करंट अकाउंट डेफिसेट [सीएडी] भी पिछले अठारह माह के स्तर पर आ गया है। इसके साथ ही विदेशी बाजारों में आई गिरावट देखने को मिली है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रुड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट का असर भी चारों तरफ देखने को मिल रहा है। आज क्रुड ऑयल पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं तेल उत्पादन करने वाले संगठन ओपेक ने कहा है कि वह इसकी कीमतों के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो भी वह क्रुड ऑयल के 44 डालर प्रति बैरल पहुंचने तक इसका उत्पादन करते रहेंगे। वहीं दूसरी और रूस की करेंसी में आई गिरावट की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट देखने को मिला है। इससे बचने के लिए रूस ने इंट्रेस्ट रेट हाई कर दिया है। दूसरी और चीन का इस बार का फैक्ट्री डाटा भी गिरावट के संकेत दे रहा है।पढ़ें - कच्चे तेल की ठंडक से कंपकंपाया बाजार


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