स्पाइसजेट की माली हालत बिगड़ी
कम दाम पर विमानन सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्पाइसजेट की माली हालत नाजुक हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक कंपनी को रोजाना 2.75 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है और मुकम्मल घाटा 2,1
मुंबई। कम दाम पर विमानन सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्पाइसजेट की माली हालत नाजुक हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक कंपनी को रोजाना 2.75 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है और मुकम्मल घाटा 2,189 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जाहिर है, कलानिधि मारन की इस कंपनी को फौरन बड़ी पूंजी की दरकार है।
दूसरी परेशानी यह है कि नागरिक विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] ने स्पाइसजेट की इंजीनियरिंग ऑडिट शुरू कर दी है। डीजीसीए ने कथित तौर पर पाया है कि स्पाइसजेट कुछ फ्लाइटों के लिए जरूरी साजो-सामान मुहैया कराने की स्थिति में नहीं है। नियामक पता लगा रहा है कि कंपनी के पास विमानों के पर्याप्त पुर्जे हैं या नहीं।
दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष स्पाइसजेट की बाजार हिस्सेदारी में 5 प्रतिशत कमी आई है। लेकिन, इस साल मार्च में जहां कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी, वहीं जून में बढ़कर 19 प्रतिशत हो गई। इस लिहाज से स्पाइसजेट घरेलू बाजार की दूसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी है। वर्ष 2010 में मारन ने स्पाइसजेट में करीब 545.75 करोड़ रुपये का निवेश करके 37.7 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। फिलहाल कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 52.13 प्रतिशत है क्योंकि इस बीच उन्होंने हर साल 5 प्रतिशत शेयर खरीदे हैं। पूंजी बाजार नियामक सेबी इससे लिस्टिेड कंपनियों में प्रोमोटरों को इससे ज्यादा हिस्सेदारी रखने की इजाजत नहीं देता। मारन ने विदेशी निवेशकों को साथ लेने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई सौदा नहीं हो पाया।
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