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फिर टूट गई सस्ते कर्ज की उम्मीद

महंगाई के बोझ से कराह रही जनता पर दिवाली से पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने महंगे कर्ज का बम फोड़ दिया है। केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर [रेपो रेट] बढ़ाकर घर व कार के कर्ज की किस्त में और वृद्धि का रास्ता साफ कर दिया है। आरबीआइ ने यह कदम उस वक्त उठाया है, जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम उद्योगों की रफ्तार बढ़ाने के लिए बैंकों से कर्ज सस्ता करने की मनुहार कर रहे थे।

By Edited By: Published: Tue, 29 Oct 2013 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
फिर टूट गई सस्ते कर्ज की उम्मीद

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगाई के बोझ से कराह रही जनता पर दिवाली से पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने महंगे कर्ज का बम फोड़ दिया है। केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर [रेपो रेट] बढ़ाकर घर व कार के कर्ज की किस्त में और वृद्धि का रास्ता साफ कर दिया है। आरबीआइ ने यह कदम उस वक्त उठाया है, जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम उद्योगों की रफ्तार बढ़ाने के लिए बैंकों से कर्ज सस्ता करने की मनुहार कर रहे थे।

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हमें तैयार रहना है, वो संकट फिर लौट कर आ सकता है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने मंगलवार को वार्षिक मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा पेश करते हुए रेपो रेट को 0.25 फीसद बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया। पिछले दो महीने के भीतर दूसरी बार रेपो दर बढ़ाई गई है। इसकी वजह से आने वाले दिनों होम, ऑटो लोन समेत सभी तरह के कर्ज महंगे होने के आसार बन गए हैं। आरबीआइ ने मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) की दर को 0.25 फीसद घटाकर 8.75 प्रतिशत कर दिया है। इससे बैंकों के पास ज्यादा कर्ज देने के लिए पैसा बचेगा। यह दीगर है कि केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को पूर्ववत चार फीसद पर बरकरार रखा है।

अगर ये चाहे तो कर्ज हो जाए सस्ता, इसे कहते हैं रेपो रेट

रेपो रेट को बढ़ाने के पीछे आरबीआइ गवर्नर ने महंगाई को प्रमुख वजह बताया है। उन्होंने आने वाले दिनों में भी महंगाई की दर के मौजूदा स्तर पर ही बने रहने की संभावना जताते हुए इसमें और बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। साफ है कि बैंकों की ब्याज दरें अभी कम से कम दो तिमाही तक मौजूदा स्तर से घटने वाली नहीं दिख रहीं। नतीजतन होम और ऑटो लोन के मौजूदा ग्राहकों को भी राहत नहीं मिलेगी। उद्योग जगत इस कदम से काफी निराश है। जानकारों ने कहा है कि इससे आर्थिक सुस्ती के जल्द खत्म होने की उम्मीद भी टूट गई है। इस कदम से ऑटो, रीयल एस्टेट, सीमेंट, स्टील समेत कई उद्योगों की दिक्कतें बढ़ेंगी। वैसे, बैंकों ने कहा है कि वे ब्याज दरों को बढ़ाने से पहले अभी कुछ इंतजार करेंगे। कुछ हफ्ते पहले वित्त मंत्री की पहल पर बैंकों ने त्योहारी सीजन में सस्ती दरों पर कंज्यूमर गुड्स, होम, ऑटो लोन देने की स्कीम लागू की है। ये अभी जारी रहेंगी।

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2013-14 के लिए आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को 5.5 से घटाकर 5 फीसद कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक सहित कई अन्य एजेंसियों ने विकास दर के लगभग चार फीसद रहने की संभावना जताई है।

क्या है रेपो रेट जिस दर पर आरबीआइ बैंकों को कम अवधि मसलन कुछ घंटे से 15 दिन के लिए कर्ज देता है, उसे ही रेपो रेट कहा जाता है।

एमएसएफ दर : मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) सुविधा के तहत बैंक सरकारी प्रतिभूति आरबीआइ के पास बंधक रखकर जिस दर पर बहुत ही कम समय के लिए कर्ज लेते हैं।

समीक्षा में खास

1. रेपो दर 7.50 फीसद से बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत किया

2. एमएसएफ को 0.25 फीसद घटा कर 8.75 फीसद किया

3. आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को घटाकर 5 फीसद किया

5. विदेशी बैंकों को सब्सिडियरी खोलने पर प्रोत्साहन

6. एफडी स्कीमों पर तिमाही से कम अवधि में भी मिलेगा ब्याज

7. 2016 तक 4.90 लाख गांवों तक पहुंचेगी बैंकिंग सेवाएं


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