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RBI गवर्नर ने दिए संकेत, थोक कर्ज देने के लिए खुलेंगे नए बैंक

सरकारी क्षेत्र के बैैंकों के लिए रिजर्व बैैंक के साफ संकेत हैैं कि अब उन्हें विदेशी बैैंकों से ही नहीं बल्कि घरेलू स्तर पर भी बैंकों से काफी जबरदस्त चुनौती का सामना करने को मिलेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 05 Apr 2016 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 05 Apr 2016 08:40 PM (IST)
RBI गवर्नर ने दिए संकेत, थोक कर्ज देने के लिए खुलेंगे नए बैंक

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र के बैैंकों के लिए रिजर्व बैैंक के साफ संकेत हैैं कि अब उन्हें विदेशी बैैंकों से ही नहीं बल्कि घरेलू स्तर पर भी बैंकों से काफी जबरदस्त चुनौती का सामना करने को मिलेगा। पेमेंट बैैंक और छोटे बैैंकों के बाद रिजर्व बैैंक अब दो नए तरह के बैंकों के लाइसेंस देने पर विचार कर रहा है।

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इस वर्ष के अंत तक आरबीआइ कस्टोडियन बैैंक और थोक कर्ज व लंबी अवधि के कर्ज देने के लिए अलग तरह के बैैंक स्थापित होंगे। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने देश में बैंकिंग ढांचे में बदलाव की पूरी जमीन तैयार कर दी है।

कस्टोडियन बैंक वह होते हैैं जो किसी खास कंपनी या फर्म के लिए काम करते हैैं और आम तौर पर ये कंपनियों के वित्तीय लेन देन और निवेश संबंधी फैसले करते हैैं। इसी तरह से थोक व लंबी अवधि के कर्ज देने वाले बैैंक 10 वर्ष से ज्यादा अवधि के लिए कर्ज देने का काम करेगा। ये बैंक होम लोन देने से ले कर ढांचागत परियोजनाओं तक को कर्ज देंगे।

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अभी तक ये कारोबार मौजूदा वाणिज्यिक बैैंक करते रहे हैैं। रिजïर्व बैैंक पहले ही पेमेंट बैैंक और छोटे बैैंकों को लाइसेंस दे कर वाणिज्यिक बैैंकों के कारोबार पर असर डालने का इंतजाम कर दिया है। साफ है कि वाणिज्यिक बैैंकों के लिए आने वाले दिनों में अब ज्यादा कुशलता दिखानी होगी।

बड़े कारपोरेट घरानों की तरफ से बैैंकों से कर्ज ले कर नहीं लौटाने की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए भी आरबीआइ ने एक अहम नीति की घोषणा का ऐलान किया है। इस नीति के तहत बड़े कारपोरेट घराने अगर कर्ज ले कर नहीं लौटाते हैैं तो उनका नाम ज्यादा दिनों तक नहीं छिपाया जा सकेगा। लेकिन उनकी कर्ज की आवश्यकता को अब ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा। इस पारे में आम जनता की राय जानने के लिए नई नीति का ड्राफ्ट जल्द ही जारी किया जाएगा।

मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने बैैंकों के काम काज में ज्यादा आजादी देने की भी व्यवस्था कर दी है। बैैंकों को अब शाखा खोलने और उसे बंद करने को लेकर ज्यादा स्वतंत्रता होगी ताकि वे उन क्षेत्रों में आसानी से शाखा, एटीएम या काउंटर खोल सके जहां इसकी ज्यादा जरुरत है। आरबीआइ गवर्नर ने शहरी सहकारी बैैंकों को ज्यादा आधुनिक बनाने में वित्तीय मदद देने का भी वादा किया है।


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