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बिजली दरों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेंगी सरकारें

दिल्ली की आप सरकार ने बिजली की दरों में कटौती क्या की, कई राज्यों में भी ये दरें अब राजनीतिक मुद्दा बन गई हैं। लेकिन केंद्र सरकार अब इस पूरे मुद्दे को ही खत्म करने के मूड में है। बिजली मंत्रलय मौजूदा बिजली कानून में तब्दीली लाकर वितरण व्यवस्था में कुछ ऐसा बदलाव करने जा रहा है जिससे कोई भी राजनीि

By Edited By: Published: Fri, 17 Jan 2014 09:24 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2014 09:24 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली की आप सरकार ने बिजली की दरों में कटौती क्या की, कई राज्यों में भी ये दरें अब राजनीतिक मुद्दा बन गई हैं। लेकिन केंद्र सरकार अब इस पूरे मुद्दे को ही खत्म करने के मूड में है। बिजली मंत्रालय मौजूदा बिजली कानून में तब्दीली लाकर वितरण व्यवस्था में कुछ ऐसा बदलाव करने जा रहा है जिससे कोई भी राजनीतिक दल बिजली दरों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा।

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एक ही क्षेत्र में कई बिजली वितरण कंपनियां स्थापित होंगी। बिजली की दरें ये स्वयं तय करेंगी। बिजली की दरें तय करने में नियामक आयोग के अधिकार पर भी कैंची चलाने की तैयारी है। सरकार की इन तैयारियों की जानकारी देते हुए बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया, 'इस क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए हम बिजली कानून, 2003 और राष्ट्रीय टैरिफ पॉलिसी में बदलाव करने जा रहे हैं। इसका प्रस्ताव तैयार है। इस पर तीन से चार हफ्तों के बीच कैबिनेट में विचार किया जाएगा।'

घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को लगेगा तगड़ा झटका

माना जा रहा है कि नया प्रस्ताव बिजली के नेटवर्क व वितरण को अलग-अलग कर देगा। अभी जिस तरह से बिजली वितरण कंपनियां ही नेटवर्क लगाती हैं, वह बदल जाएगा। साथ ही वितरण में एक साथ कई कंपनियों को प्रवेश की इजाजत मिलेगी।

महंगी बिजली व उर्वरक का रास्ता साफ

बिजली मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अभी एक क्षेत्र में एक ही कंपनी का नेटवर्क होता है। लेकिन अब यूरोपीय देशों की तर्ज पर एक ही क्षेत्र में कई नेटवर्क होंगे। पावर प्लांट किसी भी वितरण कंपनी को बिजली बेच सकेंगे। साथ ही, वितरण कंपनियां भी मनचाही कंपनी से बिजली खरीद सकेंगी। इससे बिजली की दरों में बदलाव भी तेजी से होगा। लिहाजा किसी सरकार के लिए बिजली दरों को घटाना आसान नहीं होगा। हां, राज्यों को बिजली सब्सिडी देने का अधिकार होगा। लेकिन इसके लिए साफ-साफ प्रावधान बजट के जरिये करना होगा। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बिजली सुधार की दिशा में यह बहुत बड़ा कदम होगा, क्योंकि अब सही मायने में बिजली का बाजार खुलेगा।


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