महंगी बिजली व उर्वरक का रास्ता साफ
अगले वित्त वर्ष से देश में महंगी बिजली और उर्वरक का रास्ता साफ हो गया है। तमाम राजनीतिक विरोध को दरकिनार कर केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत को बढ़ाने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अगले वित्त वर्ष से देश में महंगी बिजली और उर्वरक का रास्ता साफ हो गया है। तमाम राजनीतिक विरोध को दरकिनार कर केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत को बढ़ाने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके मुताबिक गैस की मौजूदा कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़कर 8.4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तक हो जाएगी। इससे गैस आधारित बिजली और उर्वरक प्लांटों की लागत बढ़ेगी जिसका बोझ भी आम जनता को ही उठाना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश पर मूल्य निर्धारण की नई नीति बनाई गई है। नए फॉर्मूले से वैसे तो सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस इंडस्ट्रीज को होगा क्योंकि देश का सबसे बड़ा गैस फील्ड उसके पास ही है। मगर सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब कंपनी बैंक गारंटी जमा कराएगी तभी वह नए फार्मूले के मुताबिक गैस बेच सकेगी। रिलायंस के पास केजी बेसिन में देश का सबसे बड़ा गैस ब्लॉक है। इसका उत्पादन लगातार कम हो रहा था। अब जबकि कीमत बढ़ाने का फैसला हो गया है तो कंपनी ने भी उत्पादन बढ़ा दिया है।
वैसे, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया का राजस्व भी नए फॉर्मूले से बढ़ेगा। रिलायंस पर यह आरोप लगता रहा है कि वह कम कीमत होने की वजह से जानबूझ कर कम गैस उत्पादन कर रही है। इसकी जांच की जा रही है। अगर यह साबित हो गया कि कंपनी ने गैस की जमाखोरी की है तो उसे आर्थिक जुर्माने के तौर पर बैंक गारंटी देनी होगी। बहरहाल, सरकार ने गैस कीमत तय करने का जो फार्मूला निकाला है उसके आधार पर गैस की कीमत तीन महीने बाद 8.4 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट [एमएमबीटीयू - गैस मापने का मानक] हो जाएगी। यही नहीं हर तीन महीने में कीमत की समीक्षा भी की जाएगी। इस फैसले से गैस आधारित बिजली संयंत्रों के लिए बिजली की लागत में एक रुपये प्रति यूनिट तक की वृद्धि होने की बात कही जा रही है। साथ ही उर्वरक उत्पादन की लागत भी बढ़ेगी।