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    दो रुपये कम होंगे डीजल-पेट्रोल के दाम!

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jan 2015 02:58 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती क्रूड ऑयल की कीमतों का फायदा जल्द ही देशवासियों को मिल सकता है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल से भी कम होने की वजह से पेट्रोल और डीजल के दामों में 2 रुपये की कमी हो

    नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती क्रूड ऑयल की कीमतों का फायदा जल्द ही देशवासियों को मिल सकता है।

    मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल से भी कम होने की वजह से पेट्रोल और डीजल के दामों में 2 रुपये की कमी हो सकती है। नई कीमतें बृहस्पतिवार से लागू किए जाने की संभावना है। इससे पहले दिसंबर में इनके दामों 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी।

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    छह साल के निचले स्तर पर आया कच्चा तेल

    लंदन। कच्चा तेल (क्रूड) मंगलवार को करीब छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की ओर से उत्पादन में कटौती नहीं करने के फैसले पर कायम रहने की खबरों के बाद यह गिरावट आई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन ब्रेंट क्रूड 1.06 डॉलर टूटकर 46.37 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बोला गया। यह नीचे में 45.23 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था, जो मार्च, 2009 से अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसी तरह यूएस क्रूड 1.15 डॉलर लुढककर 44.92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया।

    हमारे लिए फायदा

    फिलहाल कच्चे तेल के दाम घटने से भारत को फायदा होगा। सरकार का आयात बिल घटेगा। सब्सिडी बिल में भी कटौती होगी। इन वजहों से रुपया मजबूत होगा। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन के दामों में आगे और गिरावट देखने को मिल सकती है। जून, 2014 से कच्चे तेल की कीमतें करीब 60 फीसद नीचे आ चुकी हैं।

    गिरावट के कारण

    पिछले छह साल के दौरान अमेरिकी शेल ऑयल के उत्पादन में तेज वृद्धि हुई है। अमेरिका का घरेलू उत्पादन दोगुना हो गया है। इस वजह से वहां तेल आयात तेजी से घटा और तेल निर्यातकों को दूसरा ठिकाना तलाशने पर विवश होना पड़ा। सऊदी अरब, नाइजीरिया और अल्जीरिया जैसे तेल निर्यातक अचानक एशियाई बाजारों के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगे। नतीजतन, उत्पादकों को कीमत घटानी पड़ी। दूसरी तरफ यूरोप और विकासशील देशों की आर्थिक रफ्तार सुस्त पड़ गई है और वाहन ज्यादा एनर्जी-एफीशिएंट बन रहे हैं। इस कारण तेल की मांग में कमी आई। विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 40 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंचेंगे।

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