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निजी टेलीकॉम कंपनियों के ऑडिट का रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार के साथ राजस्व हिस्सेदारी साझा करने वाली निजी टेलीकॉम कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग कर सकता है। इन कंपनियों को ऑडिट के लिए अपने खातों का सारा ब्योरा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उपलब्ध कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निजी टेलीकॉम कंपनियों की याचिकाएं खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 11:35 AM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 12:39 AM (IST)
निजी टेलीकॉम कंपनियों के ऑडिट का रास्ता साफ

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार के साथ राजस्व हिस्सेदारी साझा करने वाली निजी टेलीकॉम कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग कर सकता है। इन कंपनियों को ऑडिट के लिए अपने खातों का सारा ब्योरा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उपलब्ध कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निजी टेलीकॉम कंपनियों की याचिकाएं खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने भी टेलीकॉम कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सरकार के साथ राजस्व साझा करने वाली कंपनियों के खाते की जांच कैग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी असर होगा। वे सभी निजी कंपनियां कैग की जांच के दायरे में आ सकती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के साथ सरकार के साथ राजस्व साझा करती हैं। इसका असर दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों के मामले में भी पड़ सकता है। अरविंद केजरीवाल सरकार ने कैग से निजी बिजली कंपनियों के खाते जांचने को कहा है। मगर कंपनियां यह कहते हुए इसका विरोध कर रही हैं कि कानून के मुताबिक निजी कंपनियों के खातों की जांच कैग नहीं कर सकता।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन व विक्रमजीत सेन की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों और एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विसेस प्रोवाइडर की याचिकाएं खारिज कर दीं। पीठ ने कहा कि ट्राई एक्ट की धारा 3 व 5 के तहत सेवा प्रदाता दूरसंचार कंपनियों का दायित्व है कि वे अपने खाते से जुड़े सारे दस्तावेज और रिकॉर्ड जांच के लिए कैग को सौंपे। कैग को सेवा प्रदाता दूरसंचार कंपनियों के खाते और रिकॉर्ड का ब्योरा मांगने का हक है। पीठ ने कहा कि वास्तव में कैग निजी दूरसंचार कंपनियों के खातों का ऑडिट नहीं करता है, बल्कि वह तो रिकॉर्ड देख कर यह जांचेगा कि सरकार को लाइसेंस व स्पेक्ट्रम शुल्क में उसके हिस्से का राजस्व मिल रहा है या नहीं। साथ ही सेवा प्रदाता कंपनियां अवैध तरीके से मुनाफा कमाकर सरकार के राजस्व को नुकसान तो नहीं पहुंचा रही हैं।

पीठ ने कहा कि स्पेक्ट्रम प्राकृतिक संसाधन है और उसका उपयोग सरकार व सेवा प्रदाता कंपनियां कर रही हैं। इसलिए सेवा प्रदाता कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने खातों का सारा रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं। उन खातों की जांच करना कैग का कर्तव्य है। प्राकृतिक संसाधनों के व्यावसायिक इस्तेमाल के बावजूद उन्हें संरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि कैग का ऑडिट दूरसंचार विभाग (डॉट) द्वारा किए गए ऑडिट से अलग है। इस मामले में टेलीकॉम कंपनियों ने कैग से ऑडिट के डॉट के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

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