मिसाइल अौर पनडुब्बी बनाना चाहती है अनिल अंबानी की कंपनी
अनिल अंबानी की भारत सरकार के 840 अरब रुपये के सैन्य उत्पाद बनाने के ठेकों पर उनकी नजर है। हालांकि अभी तक उन्हें एक भी टेंडर नहीं मिला है।
नई दिल्ली, रायटर। अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के पास भले ही अब तक सैनिक हेलीकॉप्टर, प्रक्षेपास्त्र प्रणाली या पनडुब्बी बनाने का अनुभव नहीं है, लेकिन इसके बावजूद यह रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनी बनना चाह रही है। अंबानी अब सैनिक हेलीकॉप्टर, मिसाइल और पनडुब्बी समेत अन्य साजो-सामान बनाने के लिए 84 हजार करोड़ रुपये का ठेका हासिल करने के प्रयास में जुट गए हैं। पिछले दशकों में रिलायंस ने कुछ बड़े दांव आजमाए। इनमें से कुछ में कंपनी को विफलता भी मिली। अब अंबानी रिलायंस को रक्षा क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी बनाने की योजना बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि रिलायंस की सफलता मुख्यत: दो बातों पर निर्भर करेगी। पहली तो यह कि क्या अंबानी सरकारी अधिकारियों और अपने विदेशी साझीदारों को समझा पाने में सफल होंगे कि वे उन्नत हथियार बनाने में सक्षम हैं। और दूसरी यह कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुस्त गति के लिए कुख्यात खरीद प्रक्रिया को तेज कर पाएंगे।
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उल्लेखनीय है कि मोदी ने रक्षा क्षेत्र को अपनी 'मेक इन इंडिया' मुहिम का अहम हिस्सा बना रखा है। किसी भी रक्षा करार में वह विदेशी कंपनियों को किसी स्थानीय कंपनी से गठजोड़ की शर्त लगा रहे हैं। इसके साथ ही तकनीक हस्तांतरण और साजो-सामान का कुछ हिस्सा भारत में बनाने पर भी वे जोर दे रहे हैं।
भारत आगामी एक दशक में अपने पुराने सैन्य उपकरणों को हटाकर नए अस्त्र-शस्त्र लाने की योजना बना रहा है। इसके लिए सरकार लगभग 17 लाख करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण खरीदेगी। इसे देखते हुए रक्षा क्षेत्र की कई दिग्गज कंपनियों की नजर भारत की रक्षा खरीद की तरफ लगी हुई है। रिलायंस डिफेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरके धींगरा ने बताया कि हमें भरोसा है कि इस क्षेत्र में हमारा भी अहम योगदान रहेगा। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आने वाले कुछ वर्षो में रिलायंस रक्षा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण कंपनी बनकर उभरेगी।