कोयला नीलामी से राज्यों को मिलेंगे 100 अरब डॉलर
कोयला नीलामी के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने से निवेशक बिल्कुल चिंतित नहीं हैं। इस पूरी प्रक्रिया से विभिन्न राज्यों को रॉयल्टी व नीलामी से प्राप्त आय के रूप में 100 अरब डॉलर (करीब 6,100 अरब रुपये) से ज्यादा की राशि मिलेगी। यहां विश्व आर्थिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में
दावोस। कोयला नीलामी के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने से निवेशक बिल्कुल चिंतित नहीं हैं। इस पूरी प्रक्रिया से विभिन्न राज्यों को रॉयल्टी व नीलामी से प्राप्त आय के रूप में 100 अरब डॉलर (करीब 6,100 अरब रुपये) से ज्यादा की राशि मिलेगी। यहां विश्व आर्थिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में पहुंचे कोयला एवं बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने ये बातें कहीं।
गोयल ने कहा कि अध्यादेश का कानूनी महत्व है। इसके तहत उठाए गए किसी भी कदम को वैसा ही संरक्षण प्राप्त है जैसा कि वैधानिक ढांचे के अंतर्गत लिए जाने वाले फैसलों को होता है। लिहाजा कोई चिंता नहीं है। गोयल ने यहां अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान कोयला तथा बिजली क्षेत्र के मौजूदा व संभावित निवेशकों के साथ कई बैठकें कीं। इसके अतिरिक्त अनेक नेताओं से भी मुलाकात की। मंत्री ने बताया कि नीलामी के लिए बोली प्रक्रिया अगले माह से शुरू होगी। बोली के जरिये हासिल की गईं सभी खदानों की कानूनी मान्यता होगी। लोगों ने वेबसाइट पर पंजीकरण कराना शुरू कर दिया है।
नीलामी से मिलने वाले राजस्व के बारे में एक सवाल पर गोयल ने कहा कि नीलामी से आने वाला पूरा राजस्व या तो राज्यों को जाएगा या कम बिजली कीमतों के रूप में आम लोगों तक पहुंचेगा। रॉयल्टी व नीलामी से प्राप्त आय के रूप में अगले तीस साल में पूर्वी राज्यों को 100 अरब डॉलर से अधिक राशि मिलेगी। इन राज्यों में खासतौर से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और कुछ हद तक तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व बिहार शामिल हैं।
अंबानी, महिंद्रा नदारद
शनिवार को पांच दिवसीय विश्व आर्थिक फोरम समाप्त हुआ। मुकेश अंबानी और आनंद महिंद्रा जैसे दिग्गज उद्योगपतियों ने फोरम में हिस्सा नहीं लिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और जॉर्डन नरेश अब्दुल्ला द्वितीय उन शीर्ष नेताओं में शामिल रहे जिन्होंने अंतिम क्षणों में यात्रा रद की।
भारत को लेकर उत्साह
कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने कहा कि डब्ल्यूईएफ में भारत को लेकर भरपूर उत्साह दिखा। निवेशक अब जमीनी स्तर पर चीजों को होते देखना चाहते हैं।
आइएमएफ की चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लगार्ड ने 2015 को बेहद संवेदनशील वर्ष करार दिया है। उन्होंने कहा है कि पूरी दुनिया के नीति निर्माताओं के पास तीन विकल्प होंगे। आर्थिक विकास के लिए संघर्ष करने का या मंदी को स्वीकार कर लेने का। स्थिरता की स्थिति में सुधार लाने के लिए काम करने का या चुनौतियों के आगे झुक जाने का। साथ आगे बढ़ने का या अकेले चलने का।