निर्यात से कालाधन बना रहीं 788 कंपनियों पर ईडी कसेगा नकेल
विशेष जांच दल (एसआइटी) ने प्रवर्तन निदेशालय को उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो निर्यात में घपलाकर देश के खजाने को चूना लगा रही हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कालेधन पर अंकुश लगाने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए विशेष जांच दल (एसआइटी) ने प्रवर्तन निदेशालय को उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो निर्यात में घपलाकर देश के खजाने को चूना लगा रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय अब ऐसी 788 कंपनियों पर नकेल कसेगा। वित्त मंत्रालय के अनुसार एसआइटी ने 12 और 13 जुलाई को हुई बैठक में इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कालेधन की जांच कर रही एसआइटी की इस बैठक में रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े रखे उससे पता चला कि इन कंपनियों ने दूसरे देशों को जो निर्यात किया है, उससे प्राप्त विदेशी मुद्रा को देश में नहीं आने दिया है। इतना ही नहीं इन कंपनियों ने गलत तरीके से सरकार से ड्यूटी ड्रॉ बैक यानी लागत पर चुकाए गए कर की वापसी का लाभ भी लिया है।
इस तरह एक ओर तो इन कंपनियों के निर्यात से प्राप्त विदेशी मुद्रा देश में नहीं आई वहीं दूसरी ओर ऐसी कंपनियों ने ड्यूटी ड्रॉ बैक का नाजायज फायदा उठाकर सरकारी खजाने को भी चपत लगायी है। यही वजह है कि एसआइटी ने अब विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इन कंपनियों की निर्यात से प्राप्त 100 करोड़ रुपये से अधिक राशि अब तक नहीं आयी है। इनमें 216 कंपनियां एक मार्च 2016 से पूर्व की अवधि से संबंधित हैं जबकि 572 कंपनियां एक मार्च 2016 की अवधि से संबंधित हैं।
एसआइटी ने राजस्व खुफिया निदेशालय को भी उसके डाटाबेस की छानबीन करके यह पता करने को कहा कि इस तरह की कपंनियां आखिर किस तरह निर्यात से प्राप्त धनराशि को नहीं लाकर भी ड्यूटी ड्रॉ बैक योजना का लाभ लेने में कामयाब रहीं। एसआइटी ने डीआरआइ को इन कंपनियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही आरबीआइ को तत्काल ही एक संस्थागत सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र विकसित करने को कहा है जिससे कि पता चलते चल सके कि कौन सी कंपनियां बार-बार फेमा के नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। एसआइटी ने इस संबंध में आरबीआइ को हर महीने डीआरआइ और ईडी को जानकारी देने का निर्देश दिया है। मंत्रालय के अनुसार इन कंपनियों को निर्यात से जो धनराशि प्राप्त हुई वे उसे देश में लेकर नहीं आई बल्कि उसे अवैध तरीके से विदेश में ही जमा रखा।
कोई भी कंपनी निर्यात से पहले लागत पर लगने वाले टैक्स के ऐवज में ड्यूटी ड्रॉ बैक लेती है। हालांकि इसके लिए उस निर्यातक के लिए यह जरूरी है कि वह निर्यात से प्राप्त आय को देश में लेकर आए लेकिन इस मामले में इन कंपनियों ने ऐसा नहीं किया। इसलिए उन पर फेमा के उल्लंघन का मामला बनता है।

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