कामगारों की छटपटाहट: भ्राजी, तुस्सी घर लौट आओ...बाबूजी हमहू चाहित है, कौनौ व्यवस्था करावा
कोराेना संकट के कारण अपने राज्यों में वापस गए कामगार व श्रमिक वापस आने चाहते हैं। वे हरियाणा के फैक्टरी मालिकों से संपर्क कर रहे हैं और वापसी के प्रबंध का अनुरोध कर रहे हैं।
पानीपत, [रवि धवन]। कोरोना संकट बढ़ा तो अन्य राज्यों के कामगारों में अपने घर लौटने की होड़ लग गई। लेकिन, अब उनमें वापसी की छटपटाहट है। वे अपने कार्य पर लौटना चाहते हैं और उद्यमी भी किसी तरह उनकी वापसी चाहते हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच माेबाइल फोन पर संवाद हाे रहा है। इस दौरान उनमें एक-दूसरे के प्रति भावनात्मक जुड़ाव भी दिखता है। उनकी बातचीत सद्भावना की नई लहर और उद्योगोंं के पहिये तेज होने की उम्मीद जताते हैं। कामगार अपने वापस आने के लिए प्रबंध करने की गुजारिश कर रहे हैं। उद्ममी भी इसके लिए कोशिश में जुट गए हैं। एक-दो फैक्टरी मालिकों ने अपने कामगारों को लाने के लिए बसों के प्रबंध किए हैं।
सरकार ने फैक्टरियों में कार्य शुरू करने की हरी झंडी दी तो उद्यमियों को राहत मिली, लेकिन कामगारों और श्रमिकों के वापस चले जाने से उत्पादन शुरू करना बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद उन्होंने इन कामगाराें से संपर्क करना शुरू किया। कामगारों ने भी अपनी वापस काम पर आने की पुरजोर इच्छा जताई। इसके बाद से उनके बीच फोन पर बातचीत हो रही है। संवाद और हालात की बानगी पेश है -
पानीपत के उद्ममी प्रीतम सचदेवा अपनी फैक्ट्री में पहुंचते हैं। सीट पर बैठते हैं। फैक्ट्री सूनी है। चेहरे की उदासी और गहरी हो जाती है। फोन लगाते हैं- भ्राजी हुण घर लौट आओ...तुम्हारे बिना सब सूना-सूना है। उधर से एक महिला की आवाज आती है ...अरे बाबूजी हमारा भी मन यहां अब नहीं लगत है। आपके पास आना चाहत हैं। आप ही कौनौ इंतजाम करें। दरअसल सचदेवा ने जिसको फोन लगाया था, वह उनके यहां कोरोना संकट से पहले काम करने वाले कामगार था। फोन उठाने वाली महिला उसकी पत्नी है।
कामगारों से मोबाइल फोन पर बात करते पानीपत के उद्यमी प्रीतम सचदेवा।
यह महिला अवधी ही बोल पाती है लेकिन सचदेवा की पंजाबी समझती है। तब तक उसका पति आ जाता है और सचदेवा उससे बात करने लगते हैं। दोनों में छटपटाहट है। 'पूजा' शुरू करने की। उनके लिए कार्य ही पूजा है। इसी तरह का संवाद कई अन्य उद्यमियों और उनके यहां पहले कार्य करने वाले लोगों के बीच चल रही है। दरअसल काफी संख्या में अपने घर लौट चुके कामगार अब वापस पानीपत आना चाहते हैं। रोजाना फोन करके पूछ रहे हैं कि बस कब चलेगी। ट्रेन का टिकट कब ले सकते हैं।
कामगारों में अब काम पर लौटने की छटपटाहट, वापसी के लिए हो रहे बेचैन
रोटर्स स्पीनिंग मिल एसोसिएशन के प्रधान एवं स्पिनिंग मिल चलाने वाले प्रीतम सचेदवा इस काल के पहले मुरादारबाद के ठाकुरवाड़ा में अकरम से बात कर ही रहे थे। इसी बीच बरेली के फरीदपुर से राकेश की फोन कॉल दिखने लगी। अकरम कह रहा था, बाबूजी अब पानीपत आ जाएं तो आराम से रहेंगे। घर देख लिया। अकरम को होल्ड कर प्रीतम सचदेवा ने राकेश से बात की। राकेश कहने लगा, आप किसी तरह पानीपत बुला लीजिए।
ट्रेनों चलने के साथ ही उद्योगों की गाड़ी आ जाएगी पटरी पर
राकेश आगे कहता है ' कोरोना को तो देख लेंगे। काम और आपके बिना गांव में मन नहीं लगता। प्रीतम सचदेवा उन्हें कहते हैं, जल्द ही वापस ले आएंगे। प्रीतम के चेहरे से उदासी की लकीरें खत्म होने लगती हैं। यह बात सुखद अनुभूति कराने लगती है कि कामगार अब फिर से काम संभालना चाहते हैं। वह कहते हैं ट्रेनों केे चलने के साथ ही हरियाणा में उद्योगों की गाड़ी पटरी पर आ जाएगी।
ब्लूस्टार वाले बस भेजने को तैयार
अलमारी निर्माण करने वाली ब्लू स्टार कंपनी के निदेशक राजकुमार आहूजा ने बताया कि उनके कामगार उत्तरप्रदेश के कानपुर व आसपास के जिलों में रहते हैं। उनसे बात हुई है। सभी लौटना चाहते हैं। वह दो बसों का इंतजाम कर रहे हैं। जल्द ही अनुमति लेकर एक महोबा भेजेंगे और सभी अपने घर, पानीपत आ जाएंगे। हमारे कामगार कानपुर के आसपास के रहने वाले हैं। महोबा के लोग अधिक हैं। बाकी जो आस-पास के हैं, महोबा में आकर बस में बैठ जाएंगे।
अशोक गुप्ता और राजकुमार आहूजा।
अर्थव्यवस्था को दौड़ाएगा पानीपत
पानीपत से जर्मनी और इंग्लैंड तक शिपमेंट पहुंच चुकी है। एक्सपोर्टर अशोक गुप्ता का कहना है कि पानीपत की वजह से अर्थव्यवस्था का चक्कर तेज गति पकड़ सकता है। इस समय कामगारों को वापस लाने पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। जो घर पहुंच गए हैं, अब सभी लौटना चाहते हैं। उनकी रोज बात होती है।
उद्यमी बोले- क्वारंटाइन नियम आड़े आ रहा
उद्यमियों का कहना है कि कामगार पानीपत में लौटना चाह रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि जो भी लौटेगा उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन रहना होगा। अगर इस तरह सभी दो सप्ताह के लिए बिना काम के रहेंगे तो फैक्टरियों का कार्य कैसे शुरू होगा। एक या दो दिन का समय देकर और रूटीन चेकअप करके भी तो मंजूरी दी जा सकती है। वैसे भी सभी फैक्ट्रियां शारीरिक दूरी के नियम अनुसार ही चल रही हैं।
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