लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में सीटें फिक्स पर कुछ पर अभी भी जिच, घोषण्ाा कल
लोकसभा चुनाव को ले सीटों के बंटवारे में महागठबंधन में तनाव अब खत्म होता दिख रहा है। सीटों का बंटवारे पर सहमति बन चुकी है। पर कुछ को लेकर जिच अभी बरकरार है।
By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:35 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 07:54 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। बिहार में महागठबंधन की सीट शेयरिंग तय हो गई है। मंगलवार रात कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के बीच हाई लेवल वार्ता के बाद समझौते की संभावना बन गई है। इसकी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि राजद को 20 तथा कांग्रेस को 9 से 10 सीटें मिलेंगी। इसकी घोषणा महागठबंधन के घटक दल संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 22 मार्च को पटना में कर सकते हैं। हालांकि, कुछ सीटों पर जिच बरकरार रहने के कारण कहा जा रहा है कि सभी सीटों की घोषणा नहीं की जाएगी।
शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से हो सकते उम्मीदवार
खास बात यह भी है कि पटना साहिब सीट से भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा (शॉटगन) कांग्रेस या राजद से उसी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पहले उनके राजद से चुनाव लड़ने की भी चर्चा तेज रही थी। इस सीट पर कांग्रेस ने भी दावा किया है और वह भी शत्रुघ्न सिन्हा को ही वहां से उम्मीदवार बनाना चाहती है। शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस से लड़ें या राजद से, उनका महागठबंधन उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। भाजपा के एक और बागी दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उनका दरभंगा से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
विवादित सीटों का मामला सुलझाने की कोशिशें जारी
इस बीच कुछ विवादित सीटों को लेकर फंसा मामला सुलझाने की कोशिशें लगातार जारीी हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। देर रात राबड़ी आवास पर हुई बैठक में उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) काराकाट सीट छोड़ने को राजी नहीं हुए। इस सीट पर माले का भी दावा है। उधर, माले ने हर हाल में सिवान से उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर राजद के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। ऐसे में 22 मार्च के संवाददाता सम्मेलन में ऐसी विवादित सीटों को लेकर कोई घोषणा नहीं की जाएगी। सहमति बनने के बाद इनकी घोषणा बाद में कर दी जाएगी।
इन सीटों पर अभी भी फंसा है पेच
अंदरखाने से आ रही जानकारी के अनुसार, राजद व कांग्रेस के बीच चार या पांच सीटों पर मामला फंसा हुआ है। राजद और कांग्रेस, दोनों ही दल पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, पश्चिम चंपारण व पूर्वी चंपारण सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। राजद में सीटों की संख्या से अधिक पूर्णिया, मधुबनी व दरभंगा सीटों के कारण मामला फंसा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दरभंगा और मधुबनी में राजद ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, जबकि पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीवार ने चुनाव लड़ा था। कांगेस दरभंगा से कीर्ति आजाद को प्रत्याशी बनाना चाहती है।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वी चंपारण व पश्चिम चंपारण सीटों को भी कांग्रेस अपने खाते में चाहती है। उम्मीद है कि इसपर भी बात बन जाएगी।
कांग्रेस की सीटों की संख्या होगी कम
सीटों की संख्या लगभग तय हो चुकी है। कांग्रेस के हिस्से में नौ सीटें जाएंगी। अंतिम समय पर एक सीट बढ़ाकर यह संख्या दो अंकों में यानी 10 भी की जा सकती है। इसी हिसाब से तय होगा कि राजद 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगा या 20 सीटों पर उसके उम्मीदवार उतरेंगे।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को नौ से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर लचीला रवैया अपनाए हुए हैं। कांग्रेस की बिहार इकाई 11 सीटों के लिए दबाव बनाए हुए थी। इसी कारण मामला फंसा हुआ था।
इस कारण बनी बात
महागठबंधन में शामिल एक घटक दल के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में तालमेल के बिना हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। इस बात का सभी घटक दलों के नेतृत्व का एहसास है। इस कारण ही महागठबंधन में सीटों पर बात बनी।
विधानसभा चुनाव की रणनीति बन रही थी बाधक
महागठबंधन में सीटों को लेकर हो रही इतनी माथापच्ची और घटक दलों के अडिय़ल रवैये का एक कारण लोकसभा चुनाव के ठीक अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का होना है। जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या को विधानसभा चुनाव के समय भी सीट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। इस कारण भी कुर्बानी या त्याग के भाव का अभाव दिख रहा था। लेकिन हाई लेवल हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया है।
शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से हो सकते उम्मीदवार
खास बात यह भी है कि पटना साहिब सीट से भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा (शॉटगन) कांग्रेस या राजद से उसी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पहले उनके राजद से चुनाव लड़ने की भी चर्चा तेज रही थी। इस सीट पर कांग्रेस ने भी दावा किया है और वह भी शत्रुघ्न सिन्हा को ही वहां से उम्मीदवार बनाना चाहती है। शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस से लड़ें या राजद से, उनका महागठबंधन उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। भाजपा के एक और बागी दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उनका दरभंगा से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
विवादित सीटों का मामला सुलझाने की कोशिशें जारी
इस बीच कुछ विवादित सीटों को लेकर फंसा मामला सुलझाने की कोशिशें लगातार जारीी हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। देर रात राबड़ी आवास पर हुई बैठक में उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) काराकाट सीट छोड़ने को राजी नहीं हुए। इस सीट पर माले का भी दावा है। उधर, माले ने हर हाल में सिवान से उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर राजद के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। ऐसे में 22 मार्च के संवाददाता सम्मेलन में ऐसी विवादित सीटों को लेकर कोई घोषणा नहीं की जाएगी। सहमति बनने के बाद इनकी घोषणा बाद में कर दी जाएगी।
इन सीटों पर अभी भी फंसा है पेच
अंदरखाने से आ रही जानकारी के अनुसार, राजद व कांग्रेस के बीच चार या पांच सीटों पर मामला फंसा हुआ है। राजद और कांग्रेस, दोनों ही दल पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, पश्चिम चंपारण व पूर्वी चंपारण सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। राजद में सीटों की संख्या से अधिक पूर्णिया, मधुबनी व दरभंगा सीटों के कारण मामला फंसा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दरभंगा और मधुबनी में राजद ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, जबकि पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीवार ने चुनाव लड़ा था। कांगेस दरभंगा से कीर्ति आजाद को प्रत्याशी बनाना चाहती है।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वी चंपारण व पश्चिम चंपारण सीटों को भी कांग्रेस अपने खाते में चाहती है। उम्मीद है कि इसपर भी बात बन जाएगी।
कांग्रेस की सीटों की संख्या होगी कम
सीटों की संख्या लगभग तय हो चुकी है। कांग्रेस के हिस्से में नौ सीटें जाएंगी। अंतिम समय पर एक सीट बढ़ाकर यह संख्या दो अंकों में यानी 10 भी की जा सकती है। इसी हिसाब से तय होगा कि राजद 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगा या 20 सीटों पर उसके उम्मीदवार उतरेंगे।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को नौ से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर लचीला रवैया अपनाए हुए हैं। कांग्रेस की बिहार इकाई 11 सीटों के लिए दबाव बनाए हुए थी। इसी कारण मामला फंसा हुआ था।
इस कारण बनी बात
महागठबंधन में शामिल एक घटक दल के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में तालमेल के बिना हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। इस बात का सभी घटक दलों के नेतृत्व का एहसास है। इस कारण ही महागठबंधन में सीटों पर बात बनी।
विधानसभा चुनाव की रणनीति बन रही थी बाधक
महागठबंधन में सीटों को लेकर हो रही इतनी माथापच्ची और घटक दलों के अडिय़ल रवैये का एक कारण लोकसभा चुनाव के ठीक अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का होना है। जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या को विधानसभा चुनाव के समय भी सीट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। इस कारण भी कुर्बानी या त्याग के भाव का अभाव दिख रहा था। लेकिन हाई लेवल हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया है।
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