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    RERA के अमल में आने के बाद क्या होनी चाहिए घर खरीदारों रणनीति, जानिए

    By Praveen DwivediEdited By:
    Updated: Tue, 02 May 2017 12:32 AM (IST)

    रेरा के नॉर्म्स परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेंगे। ...और पढ़ें

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    RERA के अमल में आने के बाद क्या होनी चाहिए घर खरीदारों रणनीति, जानिए

    नई दिल्ली (जेएनएन)। अचल संपत्ति (रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी) के शेयरों की सुस्ती ने इन दिनों रफ्तार पकड़ ली है। बीते वर्ष से अबतक बीएसई रियल्टी इंडेक्स में 52 फीसद तक की तेजी आई है जबकि इसकी तुलना में बीएसई सेंसेक्स में इस दौरान 12 फीसद तक ही तेजी देखने को मिली है।इस तेजी के पीछे रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) के लागू होने से लेकर रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट्स) के रेगुलेशन्स में संशोधन शामिल है। जो कि लंबी अवधि के लिहाज से एक सकारात्मक संकेत है।

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    सरकार की ओर से अफोर्डेबल हाउसिंग पर फोकस और किए गए रिफॉर्म्स की मदद से घर खरीदारों में विश्वास बढ़ा है। साथ ही पूंजी प्रवाह की प्रक्रिया समेत इस क्षेत्र का आउटलुक बेहतर है। ऐसा कहा जाता है कि निकट अवधि की बाधाएं और शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी ने ब्रोकरेज को सतर्क कर दिया है। रियल्टी शेयर्स जैसे कि इंडिया बुल्स हाउसिंग, दिलिप बिल्डकॉन, गोदरेज प्रॉपर्टीज और डीएलएफ ने इस साल 30 से 90 फीसद तक लाभ प्राप्त किया है।

    ब्रोकरेज एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया, “कई वजहों के चलते हम शेयर की कीमतों का पीछा करने के बजाय निकट अवधि में सतर्क रहना पसंद करते हैं, जैसे कि रेरा के बाद ग्राहकों की ओर से की जाने वाली मुकदमेबाजी में उल्लेखनीय वृद्धि, तरलता में कमी, खरीदार के कमजोर होते सेंटिमेंट, डेवलपर्स की ओर से निर्माण परियोजनाओं को पूरा करने के प्रयास मार्जिन को कमजोर करते हैं और बिक्री से पहले कोई सार्थक वसूली नहीं हो पाती है।”

    हालांकि ब्रोकरेज ने रियल एस्टेट की कवरेज को घटाकर न्यूट्रल कर दिया है। लेकिन उसने यह भी माना है कि लंबे समय में रेरा इस क्षेत्र में पारदर्शिता, कैपिटल की कम कीमत, लिक्विडिटी में सुधार लाएगा जिससे कि इस सेक्टर की री- रेटींग में काफी मदद मिलेगी।

    रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए (वित्त वर्ष 2018 के लिए) नकारात्मक आउटलुक को बरकरार रखा है। यह रेजिडेंशियल यूनिट्स की बिक्री में आ रही लगातार गिरावट और बढ़ते कर्ज की उम्मीद के आधार पर किया गया है।

    ज्यादातर रियल्टी कंपनियों का डेट-टू-इक्विटी अनुपात 1 से ऊपर है। सद्भाव इंजीनियरिंग के लिए यह 4.49 है, जबकि फीनिक्स मिल्स और दिलीप बिल्डकॉन के लिए यह क्रमशः के 2.07 और 1.77 है। रेरा की मदद से इस सेक्टर में खरीदार और डेवेलपर के बीच बढ़ते विश्वास की कमी को खत्म किया जा सकेगा।

    रेरा नॉर्म्स के अंतर्गत परियोजना के निर्माण के लिए एक अलग बैंक खाते में खरीदार से एकत्रित धन का 70 फीसद हिस्सा जमा कराना शामिल है। यह परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेगा क्योंकि केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए ही धन निकाला जा सकता है। भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के अंतर्गत कुल 76,000 कंपनियां शामिल हैं।

    यह भी पढ़ें: RERA के असर से हाउसिंग डिमांड में रिकवरी की उम्मीद, पढ़िए नए कानून पर एक्सपर्ट की राय

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