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    ब्रिटेन जलवायु परिवर्तन पर आपातकाल लागू करने वाला पहला देश बना

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 03 May 2019 12:14 PM (IST)

    ब्रिटेन की संसद ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर आपातकाल घोषित कर दिया है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश बन गया। ...और पढ़ें

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    ब्रिटेन जलवायु परिवर्तन पर आपातकाल लागू करने वाला पहला देश बना

    नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जलवायु परिवर्तन को लेकर लंदन में पिछले 11 दिनों तक चले कड़े विरोध प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन की संसद ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर आपातकाल घोषित कर दिया है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश बन गया। खास बात यह रही कि इस आशय का प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से पेश किया गया।

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    क्या है जलवायु परिवर्तन

    औद्योगिक क्रांति के बाद से पृथ्वी का औसत तापमान साल दर साल बढ़ रहा है। आइपीसीसी की रिपोर्ट ने पहली बार इससे आगाह किया था। अब इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी। पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है। प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और प्रवृत्ति बढ़ चुकी है। ऐसा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से हो रहा है।

    मांग बनी आंदोलन

    मध्य अप्रैल में, जलवायु परिवर्तन पर आपात स्थिति घोषित करने की मांग कर रहे एक समूह के कार्यकर्ताओं ने मध्य लंदन में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। 11 दिन तक चले इस विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने शहर की सड़कों को बंद कर दिया और लंदन भूमिगत परिवहन प्रणाली को पंगु बना दिया। अब यह आंदोलन जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में भी फैल गया है।

    पहली बार रखा प्रस्ताव

    ब्रिस्टल काउंसलर कार्ला डेनियर ने पहली बार जलवायु आपातकाल घोषित करने के विचार को सामने रखा और नवंबर में नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित किया। कई स्कूली बच्चे आए सामने जलवायु परिवर्तन के विरोध में ब्रिटेन और दुनिया भर के हजारों छात्र भी इस आंदोलन में शामिल हुए। स्वीडन की स्कूली छात्रा ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन को बड़ा खतरा बताते हुए देश के राजनीतिज्ञों को संबोधित भी किया था।

    संयुक्त राष्ट्र की चिंता

    संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही से बचने के लिए हमारे पास सिर्फ 12 साल रह गए हैं। यदि इस समस्या का समाधान जल्दी नहीं किया गया तो धरती पर तबाही आ जाएगी।

    देशों की चिंता

    ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों से दुनिया को आगाह करने के लिए मालदीव के मंत्रियों ने समुद्र के पानी में उतरकर कैबिनेट की बैठक की। नेपाल सरकार ने दिसंबर, 2009 में दुनिया की सबसे ऊंची कैबिनेट बैठक माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर पर की थी। इस कदम के जरिए नेपाल ने औद्योगिक देशों का ध्यान इस ओर खींचा था कि उनकी गतिविधियां।

    बढ़ता पर्यावरण प्रेम

    संसद द्वारा जलवायु आपात स्थिति घोषित करने से पहले ही ब्रिटेन के दर्जनों कस्बों और शहरों ने जलवायु आपात स्थिति घोषित कर दी थी। लोगों का कहना है कि वे 2030 तक कार्बन न्यूट्रल होना चाहते हैं। यानी उतना ही कार्बन उत्सर्जित हो जिसे प्राकृतिक रूप से समायोजित किया जा सके। कुछ स्थानीय परिषदों ने उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इलेक्ट्रिक कार हब शुरू करने का वादा किया है।