HIV रोकथाम इंजेक्शन को ब्रिटेन में मिली मंजूरी, भारत के लिए क्यों है आशा की किरण?
यूनाइटेड किंगडम ने एक नए एचआईवी रोकथाम इंजेक्शन को मंजूरी दी है, जो हर दो महीने में एक बार लगाया जाएगा। यह इंजेक्शन दैनिक PrEP गोलियों का प्रभावी विकल्प है और वैश्विक रणनीतियों को नया रूप दे सकता है। भारत के लिए यह आशा की किरण है, जहाँ एचआईवी संक्रमण एक गंभीर चुनौती है। इस इंजेक्शन में कैबोटेग्राविर दवा का उपयोग किया गया है। भारत में इसकी कीमत और कार्यान्वयन एक चुनौती होगी।

ब्रिटेन ने एचआईवी रोकथाम इंजेक्शन को मंजूरी दी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूनाइटेड किंगडम ने एक नए HIV रोकथाम इंजेक्शन को मंजूरी दे दी है। ये इंजेक्शन हर दो महीने में एक बार लगाया जाएगा। यह दैनिक मौखिक प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP) का एक प्रभावी आप्शन है। यह इंजेक्शन वैश्विक HIV रोकथाम रणनीतियों को नया आयाम दे सकता है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी आशा की किरण ला सकता है, जहां एचआईवी नए संक्रमण अभी भी जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है।
इस इंजेक्शन में कैबोटेग्राविर दवा का उपयोग हुआ है, जो हर दो महीने में एक बार दी जाती है। यह दैनिक गोलियों के विपरीत है, जो उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो गोलियों के नियमित सेवन में कठिनाई का सामना करते हैं। ब्रिटेन के अनुसार शुरूआत में हर साल लगभग 1,000 लोग इससे लाभान्वित होंगे। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव वेस स्ट्रीटिंग ने इसे 2030 तक एचआईवी संक्रमण समाप्त करने के लक्ष्य की दिशा में "परिवर्तनकारी" कदम बताया।
भारत के लिए आशा की नई किरण
भारत ने एचआईवी रोकथाम में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं। यह दीर्घकालिक इंजेक्शन दैनिक गोलियों की अनियमितता, सामाजिक कलंक और कमजोर समुदायों तक पहुंच की कमी जैसी समस्याओं का समाधान कर सकता है। हालांकि, भारत में इसे लागू करना आसान नहीं होगा।
भारत में चुनौतियां
कितनी होगी कीमत?
इस इंजेक्शन की कीमत अभी तय नहीं हुई है। नियमित क्लिनिक विजिट की आवश्यकता ग्रामीण और कम सुविधा वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा सकती है। भारत को यह तय करना होगा कि इस इंजेक्शन को मौजूदा रोकथाम कार्यक्रमों के साथ कैसे एकीकृत किया जाए।
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