IVF में जोड़ा नया आयाम: तीन लोगों के DNA से पैदा हुए आठ बच्चे, 'डिजाइनर बेबी' की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा मेडिकल जगत
ब्रिटेन के विज्ञानियों ने थ्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का उपयोग करके आठ बच्चों को जीवन दिया है। ये ऐसे बच्चे हैं जो आनुवंशिक रोगों से (माता-पिता से बच्चे में आने वाली बीमारी) से शत-प्रतिशत मुक्त होंगे। इन बच्चों का जन्म तीन व्यक्तियों के डीएनए का उपयोग करके हुआ। इनमें चार लड़कियां और चार लड़के हैं जिनमें एक समान जुड़वां बच्चे भी शामिल हैं।

रॉयटर, लंदन। तमाम दंपतियों का वो सपना अब पूरा होने की ओर बढ़ चला है जिसके तहत वे अपने शिशु के बाल घुंघराले, आंखें नीली और इस तरह की तमाम खूबियां देखते हैं। कुदरत के बनाए नियमों से छेड़छाड़ की बहस से इतर मेडिकल जगत ने इस तरह की 'डिजाइनर बेबी' बनाने की दिशा में अहम उपलब्धि हासिल की है।
ब्रिटेन में तीन लोगों के डीएनए से पैदा हुए आठ बच्चे
ब्रिटेन के विज्ञानियों ने 'थ्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक' का उपयोग करके आठ बच्चों को जीवन दिया है। ये ऐसे बच्चे हैं जो आनुवंशिक रोगों से (माता-पिता से बच्चे में आने वाली बीमारी) से शत-प्रतिशत मुक्त होंगे।
इन बच्चों का जन्म तीन व्यक्तियों के डीएनए का उपयोग करके हुआ। इनमें चार लड़कियां और चार लड़के हैं जिनमें एक समान जुड़वां बच्चे भी शामिल हैं।
ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने बताया कि ये बच्चे सात महिलाओं से पैदा हुए थे जिनमें माइटोकांड्रियल डीएनए में उत्परिवर्तन के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा अधिक था।
सभी बच्चे जन्म के समय स्वस्थ थे
उन्होंने कहा, ''सभी बच्चे जन्म के समय स्वस्थ थे और उनका शारीरिक विकास भी सामान्य रूप से हो रहा था। मां के रोग पैदा करने वाले माइटोकांड्रियल डीएनए उत्परिवर्तन या तो पता लगाने योग्य नहीं थे या ऐसे स्तर पर मौजूद थे जिनसे बीमारी होने की संभावना बहुत कम होती है।''
आठ बच्चों में से एक अब दो साल का है, दो की उम्र एक से दो साल के बीच है, और पांच शिशु हैं। सभी जन्म के समय स्वस्थ थे और रक्त परीक्षण में माइटोकांड्रियल जीन उत्परिवर्तन का स्तर नगण्य या कम पाया गया था।
इस तरह की गई प्रक्रिया
'द न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन' में दो शोधपत्रों में प्रकाशित इस अध्ययन में उस कारगर 'थ्री पर्सन आइवीएफ' तकनीक का वर्णन किया गया है जिसमें बच्चे का माइटोकांड्रियल डीएनए किसी तीसरे पक्ष (दाता अंडाणु) से आता है।
इसमें मां के निषेचित अंडे के न्यूक्लियस को पिता के शुक्राणु के न्यूक्लियस के साथ एक अज्ञात दाता द्वारा प्रदान किए गए स्वस्थ अंडे में स्थानांतरित किया जाता है।
न्यूकैसल में प्रजनन जीव-विज्ञान की प्रोफेसर एवं प्रमुख लेखिका मैरी हर्बर्ट ने कहा, ''माइटोकांड्रियल दान तकनीक को वर्तमान में जोखिम कम करने वाले उपचारों के रूप में माना जाता है क्योंकि माइटोकांड्रियल दान प्रक्रिया के दौरान मातृ माइटोकांड्रियल डीएनए को शरीर में ले जाया जाता है। हमारा शोध इस समस्या का समाधान करके जोखिम कम करने और माइटोकांड्रियल डीएनए रोग की रोकथाम के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है।''
अमेरिका में प्रतिबंधित है 'थ्री पर्सन आइवीएफ' तकनीक
'थ्री पर्सन आइवीएफ' तकनीक अमेरिका में प्रतिबंधित है। वर्ष 2015 में ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना जिसने मानवों में माइटोकांड्रियल दान उपचार पर शोध को वैध बनाया। उसी वर्ष अमेरिका में 'प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर' को कांग्रेस के एक विनियोग विधेयक द्वारा मानव उपयोग के लिए प्रभावी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस विधेयक ने खाद्य एवं औषधि प्रयोग को ''आनुवंशिक संशोधन'' के उपयोग पर विचार करने हेतु धन का उपयोग करने से रोक दिया था।
क्या है माइटोकांड्रियल रोग
माइटोकांड्रियल रोग मानव शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं, तंत्रिकाएं, मांसपेशियां, गुर्दे, हृदय और यकृत शामिल हैं।
हर साल 5,000 में से एक बच्चा माइटोकांड्रियल डीएनए उत्परिवर्तन के साथ पैदा होता है जो घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, व्यायाम के प्रति उदासीनता, सुनने की क्षमता में कमी, दृष्टि संबंधी समस्याएं, दौरे पड़ना, असामान्य शारीरिक विकास और हृदय संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
माइटोकांड्रियल डीएनए रोग से पीड़ित लोगों का कोई इलाज नहीं
माइटोकांड्रियल डीएनए मातृवंशीय होता है और इसलिए ये रोग मां से बच्चे में जाते हैं। हालांकि, पुरुष भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन, वे यह रोग आगे नहीं फैलाते। आज तक, माइटोकांड्रियल डीएनए रोग से पीड़ित लोगों का कोई इलाज नहीं है।
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