स्मार्ट MRI से पता चल सकता है बच्चे में कैंसर, लंदन कैंसर अनुसंधान इंस्टीट्यूट का खुलासा
लंदन में कैंसर अनुसंधान इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्मार्ट एमआरआइ स्कैन से बच्चे में कैंसर का पता लगाने में मदद मिल सकती है। जानें कैसे हो सकता है बचाव...
लंदन, पीटीआइ। हृदय रोग से पीडि़त लोगों में इस्तेमाल होने वाले स्मार्ट एमआरआइ स्कैन से बच्चे में कैंसर का पता लगाने में मदद मिल सकती है। यह जाना जा सकता है कि कैंसर खतरनाक है या नहीं और लक्षित इलाज कैसे काम करेगा, इसका यह प्रारंभिक संकेत दे सकता है। ब्रिटेन के एक नए अध्ययन में सोमवार को यह जानकारी सामने आई है। लंदन में कैंसर अनुसंधान इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया है कि गैर-इन्वेसिव स्कैनिंग तकनीक से बच्चे में न्यूरोब्लास्टोमा के खतरनाक रूप होने का पता लगाया जा है। न्यूरोब्लास्टोमा बच्चे में ट्यूमर का एक प्रकार होता है।
शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि टी वन मैपिंग के नाम से ज्ञात एमआरआइ तकनीक बचपन के कैंसर की बायोलॉजी की महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके साथ ही यह प्रभावी लक्षित इलाज किस तरह का हो, इसकी शुरुआती चेतावनी देगा। टिश्यू के सेलुलर मेक-अप को समझने के लिए टी वन मैपिंग स्कैन सेल के भीतर पानी के अणु माइक्रोस्कोपिक स्तर पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं उसे मापता है। हृदय रोग में हृदय पेशी टिश्यू को होने वाली क्षति का आकलन करने में इसका इस्तेमाल होता है।
अभी हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि कोरोना (COVID-19) से संक्रमित कैंसर के मरीजों को अन्य घातक बीमारियों की तुलना में मौत का खतरा ज्यादा रहता है। यह अध्ययन जर्नल कैंसर डिस्कवरी में प्रकाशित हुआ था। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने न्यूयॉर्क के मोंटेफोर मेडिकल सेंटर के 218 कैंसर रोगियों पर आकलन किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि कुल मरीजों में से 61 कैंसर के पीडि़तों की मौत कोरोना के संक्रमण के कारण हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, अमेरिका में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 5.8 फीसद है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जागरूकता और सतर्कता से कैंसर के मरीजों को बचाया जा सकता है। कैंसर रोगियों को चाहिए कि वे अपने खान-पान पर ध्यान दें। ऐसे रोगियों को चाहिए कि एक ही बार खाने की प्रवृत्ति छोड़ थोड़ी- थोड़ी देर बाद कुछ खाते रहें। यही नहीं जितना हो सके तरल पदार्थ का सेवन करें। इससे शरीर में कमजोरी नहीं होगी और प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहती है। इसके साथ ही मरीजों को अपनी और अपने आस-पास साफ सफाई पर ध्यान देना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके...