Pterodactylus: वो डायनासोर जो पैदा होते ही उड़ने लगता था, ऐसी क्षमता अबतक किसी जीव में नहीं
Pterodactylus डायनासोर जैसी अद्भुत क्षमता किसी अन्य जीव में नहीं देखी गई है। ये डायनासोर इतना शक्तिशाली था की बचपन से इसकी देखभाल माता-पिता नहीं करते थे।

लंदन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने विलुप्त हो चुके उड़ने वाले सरीसृपों के बारे में एक चौंकाने वाला अध्ययन किया है। उन्होंने बताया है कि टेरोडेक्टाइलस(Pterodactylus) डायनासोर पैदा होते ही उड़ने लगता था। वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान में किसी भी जीवित प्राणी के पास यह क्षमता नहीं है और जीवाश्मों के आधार पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि पहले भी किसी जीव में इस प्रकार की अद्भुत क्षमता नहीं थी। हालांकि, चीन में पाए गए टेरोडेक्टाइलस(Pterodactylus) के भ्रूण के जीवाश्मों के अध्ययन में यह पता चला था कि उनके पंख बहुत कमजोर थे और वे पूर्ण विकसित होने पर ही उड़ान भर पाते थे।

ब्रिटेन की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी और लिंकन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस परिकल्पना को खारिज कर दिया। उन्होंने इस डायनासोरके भ्रूण का अध्ययन किया तो पता चला कि जितने समय में टेरोडेक्टाइलस(Pterodactylus) डायनासोर के पंख निकल आए थे उतने समय में तो अन्य जीवों का भ्रूण ही नहीं विकसित हो पता। बाकी सरीसृपों में अंडे से निकलने के बाद पंखों का विकास होता है, लेकिन टेरोडेक्टाइलस अंडे से बाहर निकलने के तुरंत बाद उड़ने लगता है। इस बात को अर्जेटीना और चीन से मिले अन्य जीवाश्मों से सिद्ध भी कर दिया गया।
ब्रिटेन की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी डेविड अनविन ने बताया कि टेरोडेक्टाइलस(Pterodactylus) डायनासोर के मां-पिता उनकी देखभाल नहीं करते थे। उन्हें खुद ही जन्म के तुरंत बाद से खाना खोजना पड़ता था, इस लिहाज से भी उन्हें कुदरत ने इतना सक्षम बनाया कि वे जन्म के तुरंत बाद ही उड़ान भर सकें। हालांकि, जन्म के तुरंत बाद उड़ान भरना इतना सरल भी नहीं था। इस प्रक्रिया में कई टेरोडेक्टाइलस(Pterodactylus) ने कम उम्र में ही अपनी जान गंवा दी।
अभी तक कई अध्ययन यह बताते हैं कि डायनासोर का व्यवहार पक्षियों और चमगादड़ों जैसा ही रहता है लेकिन शोध में इस दृष्टिकोण को भी चुनौती दी गई है। साथ ही इन जानवरों से संबंधित कई सवालों के संभावित जवाब भी दिए गए हैं। जन्म से उड़ान भरने और बढ़ने में सक्षम होने कारण इनके पंख तो बड़े होते ही थे। साथ ही वर्तमान के पंक्षियों की तुलना में भी ये कई गुना बड़े थे।
डायनासोर के जीवन की यह प्रक्रिया लंबे समय तक कैसे चलती रही होगी, यह अध्ययन का विषय है लेकिन यह भी सोचने वाली बात है कि तमाम परिवर्तनों के बाद भी इस प्रक्रिया में रुकावट क्यों नहीं आई।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।