अब चूहों में पाया गया एक नए प्रकार का कोरोना, जानिए किस फैमिली का है यह 'ग्रिमसो' नामक वायरस
टीम ने वायरस और चूहों के बीच समझ को बढ़ाने के लिए जूनोटिक वायरस की मैपिंग की। इसमें पाया गया कि सार्स-सीओवी और मार्स कोरोना वायरस आमतौर पर चमगादड़ में पाया जाता है। वहीं एचसीओवी-ओसी43 और एचसीओवी-एचकेयू1 चूहों के जरिये इंसानों में फैलता है।

लंदन, आइएएनएस। स्वीडन के विज्ञानियों ने रेड बैक्ड वोल्स (चूहे की एक प्रजाति) में एक नए प्रकार का कोरोना वायरस पाया है। रेड बैक्ड वोल्स को मेयोडेस भी कहा जाता है और यह आमतौर पर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में पाया जाता है। इसका आकार काफी छोटा होता है।
विज्ञानियों ने स्वीडन के ओरबेरो काउंटी स्थित ग्रिमसो से करीब 260 वोल्स पर शोध किया। उप्पासला यूनिवर्सिटी स्थित जूनोसिस साइंस सेंटर की टीम ने कहा कि इस शोध में पाया गया कि इन चूहों के अंदर वायरस अच्छी तरह से मौजूद था। यह शोध वायरस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। सेंटर के हेड और वायरोलाजी के प्रोफेसर एके लुंडक्विस्ट ने कहा, 2015 से 2017 के बीच, हमने लगातार पाया कि इन चूहों के अंदर 3.4 प्रतिशत ग्रिमसो वायरस है, जो स्वीडन के इन चूहों में एक आम बात है।
यह वायरस बीटा कोरोना वायरस के परिवार से है
टीम ने वायरस और चूहों के बीच समझ को बढ़ाने के लिए जूनोटिक वायरस की मैपिंग की। इसमें पाया गया कि सार्स-सीओवी और मार्स कोरोना वायरस आमतौर पर चमगादड़ में पाया जाता है। वहीं, एचसीओवी-ओसी43 और एचसीओवी-एचकेयू1 चूहों के जरिये इंसानों में फैलता है। टीम ने आरएनए सीक्वेंसिंग से पाया कि एक नया कोरोना वायरस, जिसे ग्रिमसो वायरस नाम दिया गया, वो इन चूहों में है। यह वायरस बीटा कोरोना वायरस के परिवार से है तथा इसमें सार्स-सीओवी, मार्स और सार्स सीओवी-2 भी शामिल है।
पिछले कई शोध में पाया गया है कि यूके, पोलैंड, फ्रांस और जर्मनी समेत कई देशों में जानवरों के जरिये वायरस फैला।
लुंडक्विस्ट ने कहा, हालांकि हम अभी यह नहीं जानते कि ग्रिमसो वायरस कितना घातक है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कौन से संभावित खतरे पैदा कर सकता है। इन चूहों में पाए गए पिछले कोरोना वायरस और इन पर रखी गई लगातार निगरानी से हमें काफी जानकारी मिल रही है, जो बेहद अच्छी बात है।
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