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    मिर्गी के दौरे से पीड़ित मरीजों के लिए राहत की खबर, अब पहले ही हो सकेंगे सतर्क

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 12 Jun 2019 11:11 AM (IST)

    वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मिर्गी का दौरा आने से पूर्व मनुष्य के खून में मौजूद मॉलिक्यूल पैटर्न सक्रिय हो जाते हैं। ...और पढ़ें

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    मिर्गी के दौरे से पीड़ित मरीजों के लिए राहत की खबर, अब पहले ही हो सकेंगे सतर्क

    लंदन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने खून में मौजूद ऐसे मॉलिक्यूल पैटर्न (रुधिर कणिकाओं) का पता लगाया है जिन्हें मिर्गी का दौरा (Epilepsy Seizures) आने से पहले देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों की इस खोज से खास तौर पर मिर्गी के दुष्परिणामों को कम करने का रास्ता खुल सकता है। मिर्गी एक तंत्रिका तंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इन दौरान तरह-तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- बेहोशी आना, हाथ-पांव में झटके आना, गिर पड़ना आदि।

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    आयरलैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन (आरसीएसआइ) के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, उनके रक्त में इन ये मॉलिक्यूल उच्च स्तर में पाए जाते हैं। क्लीनिकल इंवेस्टिगेशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, ये मॉलिक्यूल्स टीआरएनए के टुकड़े हैं, जिसका डीएनए से सीधा संबंध होता है। ये कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि जब कोशिकाओं में दबाव पड़ता है तो टीआरएनए टुकड़ों में बंट जाता है, जिसके बाद ये टुकड़े रक्त के जरिये सीधा मस्तिष्क पर आघात करते हैं। कोशिकाओं में तनाव बढ़ने से मिर्गी के दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने मिर्गी के मरीजों के खून के नमूनों की जांच करने पर यह पाया कि दौरा आने से पहले टीआरएनए के टुकड़े तीन भागों में बंट गए थे।

    आरसीएसआइ की लेक्चरर मॉरियन होग ने कहा कि मिर्गी के मरीजों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यही है कि उन्हें पता नहीं चल पाता कि दौरा कब आएगा। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं के अध्ययन के परिणाम काफी भरोसेमंद लगते हैं। उम्मीद है कि टीआरएनए के संबंध में यह शोध एक ऐसी प्रणाली विकसित करेगा जो मिर्गी के मरीजों को दौर आने से पूर्व सतर्क कर देगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पूरी दुनिया में पांच करोड़ से ज्यादा लोग मिर्गी के मरीज हैं। आसीएसआइ के प्रोफेसर डेविड हेनशेल ने कहा कि आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि मिर्गी का इलाज अब संभव है। आरसीएआइ के शोधकर्ताओं के अध्ययन में ऐसी संभावनाएं हैं कि यह मिर्गी के दुष्परिणामों को कम कर सकती है।

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