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नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील का भारत ने दिया कानूनी जवाब, लंदन हाई कोर्ट करेगा आगे का फैसला

नीरव मोदी के ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की अनुमति मांगने के मामले में भारतीय प्रशासन ने अपना कानूनी जवाब दे दिया है। लंदन स्थित हाई कोर्ट अब यह फैसला करेगा कि बिना किसी सुनवाई के क्या लिखित में अपील की अनुमति दी जाए।

By Piyush KumarEdited By: Published: Wed, 07 Dec 2022 05:49 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2022 05:49 AM (IST)
नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील का भारत ने दिया कानूनी जवाब, लंदन हाई कोर्ट करेगा आगे का फैसला
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की फाइल फोटो।

लंदन, जेएनएन। भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की अनुमति मांगने के मामले में भारतीय प्रशासन ने अपना कानूनी जवाब दे दिया है। फिर भी ब्रिटिश सरकार के सूत्रों का मानना है कि नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण अभी भी दूर की कौड़ी है। ब्रिटेन की अदालतों में भारत सरकार की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ रही क्राउन प्रासीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने 51 वर्षीय नीरव मोदी की अपील के खिलाफ अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। सीपीसी ने पुष्टि की उन्होंने पांच दिसंबर की समयसीमा का पालन करते हुए समय पर जवाब दे दिया है।

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ब्रिटेन के हाई कोर्ट में केस हार चुके हैं नीरव मोदी 

लंदन स्थित हाई कोर्ट अब यह फैसला करेगा कि बिना किसी सुनवाई के क्या लिखित में अपील की अनुमति दी जाए। इस प्रक्रिया में कई हफ्ते लग सकते हैं और इसके इस साल पूरी होने की उम्मीद नहीं है। नीरव मोदी ने आम जनता के महत्व के कानून के आधार पर अपील की है, जोकि आमतौर पर नहीं की जाती है। दो अरब डालर के पीएनबी कर्ज घोटाले में आरोपित नीरव मोदी के वकीलों ने पिछले महीने खराब मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर ब्रिटेन के हाई कोर्ट में केस हार जाने पर यह अपील दायर की है।

अभी भी सजा को चुनौती देने के कानूनी विकल्प मौजूद

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि यह स्पष्ट नहीं है कि कब और कैसे मोदी का प्रत्यर्पण होगा क्योंकि उसके पास अभी भी सजा को चुनौती देने के कानूनी विकल्प मौजूद हैं। अगर नीरव मोदी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने से चूक भी गया तो भी उसके पास यूरोपियन कोर्ट आफ ह्यूमन राइट्स (ईसीएचआर) के समक्ष आवेदन करने का भी विकल्प होगा। वहां वह इस आधार पर प्रत्यर्पण को रुकवा सकता है कि उसकी सुनवाई निष्पक्ष नहीं हुई है।

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