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    एक-दूसरे से जुड़ी है मसूड़े और किडनी की बीमारी, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा, नियमित सफाई से कम हो सकती है समस्या

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 07 Jan 2021 06:48 PM (IST)

    मसूड़े और किडनी की बीमारी का एक-दूसरे से संबंधि‍त हैं। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के एक डॉक्टर द्वारा किए गए नवीनतम अध्ययन में यह बात सामने आई है। मसूड़ों की बीमारी आम समस्या है जिसमें मसूड़ों से खून निकलता है और दांत कमजोर हो जाते हैं...

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    मसूड़े और किडनी की बीमारी का एक-दूसरे से संबंधि‍त हैं।

    लंदन, पीटीआइ। मसूड़े और किडनी की बीमारी का एक-दूसरे से संबंध है। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के एक डॉक्टर द्वारा किए गए नवीनतम अध्ययन में यह बात सामने आई है। डॉ. प्रवीण शर्मा के नेतृत्व में बर्मिघम विश्वविद्यालय में हुए नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि शरीर में ऑक्सीजन बनाने वाले मुक्त कणों और इसके 'एंटीऑक्सीडेंट' कोशिकाओं के बीच का असंतुलन मसूड़े की बीमारियों और किडनी की पुरानी बीमारी को प्रभावित करने का कारण हो सकता है। मसूड़ों की बीमारी आम समस्या है जिसमें मसूड़ों से खून निकलता है, दांत कमजोर हो जाते हैं और टूट भी सकते हैं।

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    मुंह में सूजन और किडनी की बीमारी में संबंध

    पिछले अध्ययनों में मसूड़ों की बीमारी के कारण मुंह में सूजन और किडनी की पुरानी बीमारी के एक-दूसरे से संबंधित पाया गया था। ऐसे अध्ययनों में कहा गया कि मसूड़ों में अधिक सूजन वाले लोगों में किडनी की गंभीर समस्या हो सकती है। नए अध्ययन में किडनी की बीमारी के 700 से अधिक रोगियों की जांच की गई, जिसमें रक्त के नमूनों सहित पूरे शरीर का परीक्षण शामिल था। इस अध्ययन का मकसद उस परिकल्पना पर गौर करना था कि मसूड़ों में सूजन और किडनी एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

    नियमित सफाई से कम हो सकती है समस्या

    डॉ. शर्मा ने कहा कि यह किडनी के कामकाज पर मसूड़ों की सूजन के प्रभाव और इसके मसूड़ों की सूजन पर किडनी के प्रभाव को स्पष्ट करने वाला पहला पेपर है। उन्होंने कहा कि यह पता चला कि मसूड़ों की सूजन में मामूली कमी भी किडनी की समस्या में राहत पहुंचा सकती है। सही तरीके से ब्रश करने और दांतों के बीच की सफाई जैसे सरल उपायों के जरिये मसूड़ों की सूजन में 10 फीसदी की कमी आ सकती है।

    ...तो बढ़ जाता है सूजन का खतरा

    पिछले अध्ययनों से यह भी पता चला है कि क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) और पीरियोडोंटाइटिस (मसूड़ों संबंधी बीमारी) के रोगियों को मधुमेह की बीमारी भी होती है तो उनके जीवित रहने की दर में गिरावट आ सकती है। नए अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि मसूड़ों की सूजन में सिर्फ 10 फीसद की वृद्धि से गुर्दे की कार्यक्षमता लगभग तीन फीसद तक कम हो जाती है। ऐसे रोगियों की किडनी खराब होने का खतरा पांच साल की अवधि में 32-34 फीसद तक बढ़ जाता है। अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि किडनी की कार्यप्रणाली में 10 फीसद की कमी आने से मसूड़ों में सूजन का खतरा 25 फीसद तक बढ़ जाता है।