डायबिटीज की दवा से मोटापा भी होगा कम, पेट भरा होने का होता है अहसास; कैलोरी हो जाती है कम
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुख्य विज्ञानी और मेडिकल अधिकारी डाक्टर राबर्ट गाब्बे ने कहा कि यह एक संभावित गेम चेंजर थेरेपी है कि हम टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के इलाज के बारे में किस तरह से सोचते हैं।

लंदन, आइएएनएस : आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज के अलावा मोटापे से भी जूझ रहे हैं। दरअसल, डायबिटीज का एक अहम कारक मोटापा भी होता है। ऐसे में मरीजों को इन दोनों समस्याओं से निपटने के लिए अलग-अलग तरह की दवाएं लेनी पड़ती हैं। लेकिन अब डायबिटीज के इलाज के लिए एक ऐसी दवा खोजी गई है, जिससे मोटापा कम करने में भी मदद मिलेगी। एक शोध के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज की यह दवा मोटापा भी कम करेगी।
अमेरिकी फार्मा कंपनी एली लिली द्वारा विकसित की गई इस दवाई का नाम टिरजेपेटाइड है। यही नहीं, इस दवा को बैरिएट्रिक सर्जरी के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है। टिरजेपेटाइड दो हार्मोनों के सिथेंटिक मिमिक जीएलपी-1 और जीएलपी-2 को जोड़कर बनाया गया है, जिसे खाने के बाद आपको ऐसा महसूस होता है, जैसे कि आपका पेट भरा हुआ है और आपको खाना खाने की जरूरत महसूस नहीं होती। अहम बात यह है कि स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले यह हार्मोन ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करने में मदद करता है। अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने इसी साल मई में टिरजेपेटाइड को इसके ट्रेड नाम माउनजारो के नाम से मंजूरी दी है, जो टाइप-2 डायबिटीज में काम आती है।
हालांकि टिरजेपेटाइड अभी वजन कम करने वाले मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं है, लेकिन एली लिली ने इस साल के अंत तक इसे लाने की योजना बनाई है। नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट आफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलाजी पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंस के अध्यक्ष डाक्टर अनिल अरोड़ा ने कहा, यह दवाई अभी इंजेक्शन के रूप में हैै और यह एक स्वागत योग्य है। इस दवाई में इस्तेमाल दो हार्मोन का मिश्रण आपके दिमाग में जाएगा और उससे कहेगा कि आपका पेट भरा हुआ है या आपके पेट में पर्याप्त भोजन है इसलिए आपको और ज्यादा खाना खाने की जरूरत नहीं है। इससे, आपकी भूख पर लगाम लगेगी और आपकी कैलोरी कम होगी और आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी।
ऐसे किया प्रयोग : न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार येल यूनिवर्सिटी और एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बेहद बेतरतीब वजन वाले कई लोगों पर एक प्रयोग किया। इसके तहत, इन लोगों को चार ग्रुपों में बांटा गया। पहले ग्रुप को 72 सप्ताह तक प्रत्येक सप्ताह प्लेसेबो इंजेक्शन लेने के लिए कहा गया। वहीं, अन्य तीन ग्रुपों के लोगों को 72 सप्ताह तक प्रत्येक सप्ताह 5 एमजी, 10 एमजी और 15 एमजी टिरजेपेटाइड लेने के लिए कहा गया। इसके साथ ही इन लोगों को प्रत्येक सप्ताह 150 मिनट व्यायाम करने के लिए भी कहा गया।
प्रयोग के ये आए परिणाम : 72 सप्ताह बाद चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। इसके तहत, जिन प्रतिभागियों ने प्रत्येक सप्ताह 5 एमजी टिरजेपेटाइड लिया था, उनका औसत वजन 16.1 किलोग्राम कम हुआ। जिन प्रतिभागियों ने 10 एमजी लिया, उनका औसतन वजन 2.2 किलोग्राम और जिन्होंने 15 एमजी लिया, उनका औसतन वजन 23.65 किलोग्राम कम हुआ। वहीं, जिन लोगों ने प्लेसेबो इंजेक्शन लिया था, उनका वजन सिर्फ 2.4 किग्रा कम हुआ। हालांकि, यह उन मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं है, जो बैरिएट्रिक सर्जरी से गुजर रहे हैं, उनके वजन में बढ़ोतरी देखी गई। डाक्टर अरोड़ा कहते हैं, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एंडोस्कोपिक और बैरिएट्रिक सर्जरी में आपके पेट को कम किया जाता है, जबकि इस थेरेपी में आपके शरीर की मूल संरचना से छेड़छाड़ नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि 15 से 20 प्रतिशत वजन कम होना डाक्टर की दक्षता पर भी निर्भर करता है कि वह डायबिटीज का किस तरह से इलाज करता है।
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