डेविड स्जेले ने जीता 2025 का बुकर पुरस्कार, भारतवंशी किरण देसाई को पछाड़ा
हंगरी मूल के ब्रिटिश लेखक डेविड स्जेले को उनके उपन्यास 'फ्लेश' के लिए 2025 का बुकर पुरस्कार मिला है। उन्होंने भारतीय लेखिका किरण देसाई को पछाड़ दिया। 'फ्लेश' एक भावनात्मक रूप से उदासीन व्यक्ति की कहानी है। किरण देसाई 2006 में यह पुरस्कार जीत चुकी हैं। जजों ने 'फ्लेश' को उसकी विशिष्टता के लिए सराहा।

डेविड स्जेले ने जीता बुकर पुरस्कार। इमेज सोर्स- आकाशवाणी X
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हंगरी मूल के ब्रिटिश लेखक डेविड स्जेले को उनके उपन्यास 'फ्लेश' के लिए इस वर्ष के बुकर पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है। यह घोषणा लंदन में आयोजित एक समारोह में की गई। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा में उन्होंने भारतीय लेखिका किरण देसाई के उपन्यास 'द लोनलीनेस आफ सोनिया एंड सनी' को पछाड़ दिया।
51 वर्षीय स्जेले को सोमवार रात पिछले साल की बुकर विजेता सामंथा हार्वे ने उनके उपन्यास के लिए 50,000 पाउंड (लगभग 58 लाख रुपये) और एक ट्राफी प्रदान की। मान्टि्रयल में एक हंगेरियन पिता और कनाडाई मां के घर जन्मे स्जेले का पालन-पोषण लंदन में हुआ। 'स्पि्रंग' व 'द इनोसेंट' उपन्यास, लघु कथा संग्रह 'टर्बुलेंस' के भी रचयिता स्जेले को इससे पहले 2016 में उनके उपन्यास 'आल दैट मैन इज' के लिए बुकर पुरस्कार के लिये चयनित नामों की सूची में शामिल किया गया था।
डेविड स्जेले ने जीता बुकर पुरस्कार
'फ्लेश' उपन्यास की कहानी में भावनात्मक रूप से विमुख और उदासीन एक व्यक्ति की जीवन यात्रा उकेरी गई है, जो परिस्थितियों की विवशता में बिखर जाता है। बहरहाल, यह स्जेले की छठी कृति है। वे 'स्पि्रंग' और 'द इनोसेंट' उपन्यासों के साथ-साथ लघु कथा संग्रह 'टर्बुलेंस' के भी रचयिता हैं। जजों ने कहा, ''केवल गद्य के अल्पतम प्रयोग से यह दमदार पुस्तक एक व्यक्ति के जीवन का आश्चर्यजनक रूप से मार्मिक चित्रण बन जाती है।''
56 साल के इतिहास में पांचवीं बार दोहरी विजेता बनने से चूकीं किरण किरण देसाई बुकर पुरस्कार के 56 साल के इतिहास में पांचवीं बार दोहरी विजेता बनने से चूक गईं। उन्होंने 2006 में 'द इनहेरिटेंस आफ लास' के लिए इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार को अपने नाम किया था।
किरण देसाई को मिली हार
देसाई ने अपने नए उपन्यास के बारे में कहा, ''मैं एक अनसुलझी प्रेम कहानी के माध्यम से वैश्विक अकेलेपन के बारे में एक किताब लिखना चाहती थी। मैं एक पुराने जमाने की सुंदरता के साथ एक वर्तमान रोमांस लिखना चाहती थी। मेरे माता-पिता और निश्चित रूप से मेरे दादा-दादी के वक्त एक भारतीय प्रेम कहानी ज्यादातर एक समुदाय, एक वर्ग, एक धर्म और अक्सर एक ही स्थान पर आधारित होती थी। लेकिन, आज की दुनिया में एक प्रेम कहानी कई अलग-अलग दिशाओं में भटक सकती है।''
667 पृष्ठों वाली 'द लोनलीनेस आफ सोनिया एंड सनी' को जजों ने सराहा 667 पृष्ठों वाली 'द लोनलीनेस आफ सोनिया एंड सनी' को जजों ने ''प्रेम और परिवार, भारत और अमेरिका, परंपरा और आधुनिकता का महाकाव्य'' बताया जो दो युवा भारतीयों - सोनिया और सनी के इर्द-गिर्द घूमता है।
जजों ने भारतीय लेखिका की नवीनतम कृति के बारे में कहा, ''यह दो लोगों के बारे में एक अंतरंग और विस्तृत महाकाव्य है जो प्रेम और एक-दूसरे तक पहुंचने का मार्ग खोजते हैं। वर्ग, नस्ल और राष्ट्रीयता के ¨चतन से भरपूर इस पुस्तक में सब कुछ है।'' उन्होंने प्रशंसा की, ''लेखन दार्शनिक, हास्य, गंभीर, भावनात्मक और अलौकिक - विभिन्न विधाओं के बीच पूर्ण प्रवाह के साथ आगे बढ़ता है।''
'फ्लेश' उपन्यास को मिला सम्मान
प्रतिष्ठित पुरस्कार की इस प्रतिस्पर्धा में 'फ्लेश' ने जीत लिया जजों का दिल अंतत: जजों का दिल 'फ्लेश' ने जीत लिया और लंदन के ओल्ड बि¨लग्सगेट में आयोजित एक समारोह में इसे 2025 का विजेता घोषित किया गया।
बुकर पुरस्कार 2025 के जजों के अध्यक्ष आयरिश उपन्यासकार राडी डायल ने कहा, ''हमें 'फ्लेश' में जो बात खास तौर पर पसंद आई, वह थी इसकी विशिष्टता। यह किसी भी अन्य किताब की तरह नहीं है। यह एक गंभीर किताब है, लेकिन हम सभी को इसे पढ़ने में आनंद आया।''
इस प्रतिस्पर्धा में शामिल अन्य कृतियों में अमेरिकी-कोरियाई लेखिका सुसान चोई की 'फ्लैशलाइट', अमेरिकी-जापानी लेखिका केटी कितामुरा की 'आडिशन', ब्रिटिश-अमेरिकी बेन मार्कोविट्स की 'द रेस्ट आफ अवर लाइव्स' और अंग्रेजी उपन्यासकार एंड्रयू मिलर की 'द लैंड इन ¨वटर' शामिल थीं।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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