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बोन मैरो कैंसर अब नहीं रहेगा लाइलाज, दिखी उम्मीद की नई किरण

शोधकर्ताओं ने क्लीनिकल ट्रायल में एक दवा को मायलोमा के मरीजों पर प्रभावी पाया है। इस कैंसर से जूझ रहे मरीजों को लेनालिडोमाइड दवा दी गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 08:45 AM (IST)
बोन मैरो कैंसर अब नहीं रहेगा लाइलाज, दिखी उम्मीद की नई किरण

लंदन, एजेंसी। गंभीर बोन मैरो कैंसर के इलाज की दिशा में उम्मीद की नई किरण दिखी है। ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने क्लीनिकल ट्रायल में एक दवा को मायलोमा के मरीजों पर प्रभावी पाया है। इस कैंसर से जूझ रहे मरीजों को लेनालिडोमाइड दवा दी गई। लैंसेट ओंकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित नतीजों के मुताबिक, जिन मरीजों को यह दवा दी गई, उनमें अन्य के मुकाबले ज्यादा सुधार देखा गया।

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मायलोमा प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर है जो रीढ़, सिर, पेल्विस और पसलियों में होता है। यह गंभीर किस्म का कैंसर है। इसके इलाज में प्राय: कीमोथेरेपी और स्टेम-सेल प्रत्यारोपण की पद्धति अपनाई जाती है। प्रोफेसर ग्राहम जैकसन ने कहा, ‘हमारे शोध से यह सामने आया है कि ऐसे मरीज जिनमें हाल ही में इस कैंसर की पहचान हुई हो, उन्हें स्टेम- सेल प्रत्यारोपण से पहले यह दवा देनी चाहिए।’ यह दवा इलाज की प्रक्रिया के दौरान मरीजों की सेहत को बेहतर रखने में मददगार है।

बोन मैरो कैंसर के कारण

बोन मैरो यानि अस्थि मज्जा मुख्य हड्डियों के बीच में एक मुलायम व स्पॉंजी टिशू है। इसमें रक्त बनाने वाली अपरिपक्व कोशिकाएं होती हैं जिन्हें स्टेम सेल्स कहते हैं। स्टेम सेल्स लाल रक्त कोशिकाओं (जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाती है), सफेद कोशिकाएं (जो संक्रमण से लड़ती हैं) और प्लेटलेट्स( जो ब्लड क्लॉटिंग से मदद करती है) में विकसित होती हैं।

बोन मैरो कैंसर के प्रकार

बोन मैरो कैंसर दो तरह का होता है प्राइमरी और सेकंडरी। इन्हें प्राथमिक और माध्यमिक बोन कैंसर के नाम से भी जाना जाता हैं। जब बोन मैरो कैंसर के सेल्स हड्डियों के बजाए अन्य भागों में मिलते हैं तो ये प्राथमिक बोन कैंसर की श्रेणी में आता है। प्राथमिक बोन कैंसर के भी कई रूप हैं जैसे- ल्यूकेमिया, लिम्फोंमस और मल्टी माइलोमा। जब बोन मैरो में असामान्य रूप से सफेद कोशिकाओं का उत्पाद होने लगता हैं।

मल्टीपल माइलोमा कैंसर तब विकसित होता है जब बोन मैरो में प्लाज्मा सेल्स की उत्पति होने लगती हैं। लिम्फोमा आमतौर पर लसिका प्रणाली को प्रभावित करता है लेकिन कुछ और स्थितियों में भी बोन मैरो प्रभावित हो सकते हैं। जैसे बुखार होना, वजन का कम होना, हड्डियों में दर्द होना, बिना कारण फ्रैक्चर होना, एनीमिया, शारीरिक कमजोरी होना, शरीर में सूजन आना, ठीक से पोषण ना लेना, अत्यधिक थकान होना, चक्कर आना, प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना सभी बोन मैरो कैंसर और बोन कैंसर के लक्षणों में से एक हैं।

कीमोथेरेपी

बोन मैरो कैंसर के इलाज में सबसे पहले कीमोथेरेपी प्राथमिक उपचार के लिए अपनाई जाती हैं। कीमोथेरेपी के दौरान दवाएं दी जाती हैं जो कि कैंसर सेल्स को नष्ट करती हैं। यह दवाएं खाने के लिए या फिर नसों में दी जाती है। कैंसर के इलाज के लिए आमतौर पर कुछ दवाएं मशहूर हैं जो कि डॉक्टर की सला‍ह पर दी जाती हैं।

रेडिएशन थेरेपी

इस प्रक्रिया के द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विकिरण चिकित्सा दी जाती है। इस थेरपी से जल्दी ही कैंसर के सेल्स‍ मर जाते हैं और मरीज जल्दी ही ठीक होने लगता हैं।

रेडियो इम्यून थेरेपी

इस थेरपी के माध्यम से सिर्फ ट्यूमर को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है जिससे हेल्दी सेल्स बच जाते हैं और ट्यूमर से प्रभावित सेल खत्म हो जाते हैं।

शल्य चिकित्सा

सर्जरी से कई बार बोन कैंसर का उपचार करना पड़ता है। इसके लिए यदि बोन कैंसर बहुत फैल गया है और रोगी को कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। या फिर बोन कैंसर किसी जोड़ के आसपास है तो इस स्थिति में शल्स चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। कई बार जब मरीज गंभीर स्थिति में होता है तो भी सुरक्षा की दृष्टि से शल्य चिकित्सा से बोन कैंसर का ईलाज किया जाता है।

जानें कैसे होता है बोन कैंसर का उपचार

नर्म, खंखरे ऊतक जो हड्डी के केंद्र में मौजूद होते हैं उनको बोन मैरो कहा जाता है। ये टिश्‍यु स्टेम सेल में शामिल होते हैं और अलग-अलग रूप से रक्त में शामिल होते हैं। सफेद रक्त कोशि‍काओं, लाल रक्त कोशिकाओं और प्लेंटलेट्स में ये ऊतक पाए जाते हैं। बोन मैरो कैंसर तब होता है जब मैंलीगेंट सेल्सो यानी घातक कोशिकाएं रक्त में वि‍कसित होनी शुरू हो जाती हैं। सभी बोन मैरो कैंसर से पीडि़त मरीजों के पास एक ही प्रश्न होता है कि क्या बोन मैरो कैंसर का इलाज संभव है। क्या बोन मैरो कैंसर का ईलाज संभव है तो आइए जानें कुछ बातों को।

  • बोन कैंसर के उपचार से पहले बोन कैंसर का निदान होना जरूरी है।
  • बोन कैंसर का उपचार बोन कैंसर की अवस्था और मरीज की स्थिति देखकर ही किया जाता है।
  • बोन कैंसर के ईलाज के लिए कई बार तो कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या फिर इसी तरह की अन्य थेरपी से भी चिकित्सा की जाती है।
  • बोन कैंसर की चिकित्सा बोन कैंसर से ग्रसित रोगी पर भी निर्भर करता है कि वह किस उम्र का है, बोन कैंसर किस स्टेज का है।
  • बोन कैंसर के उपचार के लिए कई विधियां अपनाई जाती हैं। कई बार बोन कैंसर के लिए शल्य चिकित्सा अपनानी पड़ती है तो कई बार घरेलू नुस्खों से ही काम चल जाता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट

बोन मैरो कैंसर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट थेरेपी भी अपनाई जाती हैं। हालांकि यह बहुत ही जटिल प्रणाली हैं। लेकिन इस उपचार के जरिए संक्रमित बोन मैरो को स्वस्थ बोन मैरो से बदल दिया जाता है। जिससे मरीज पहले से कहीं अधिक स्वस्थ महसूस करता है और प्रभावित कोशिकाओं के बदले स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण होने लगता हैं। जो कि बोन मैरो कैंसर से लड़ने के लिए प्रयासरत होती हैं। हालांकि बोन मैरो कैंसर का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से भी किया जा सकता है। इसके साथ ही मरीज को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और अपने खानपान पर खास ध्यान देना चाहिए। 


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