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    जानें- अजरबैजान और आर्मेनिया की लड़ाई की क्‍या है बड़ी वजह और इस जंग से क्‍यों अटकी है यूरोपीय संघ की सांस

    अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच छिड़ी जंग से सबसे अधिक यूरोप डरा हुआ है। इसकी वजह यहां से गुजरने वाली तेल और गैस की पाइपलाइन है। यूरोपीय संघ नहीं चाहता है कि इसको कोई नुकसान हो और इसकी कीमत उसको चुकानी पड़े

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 05:33 PM (IST)
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    अजरबैजान और आर्मेनिया की लड़ाई से यूरोप की फूली सांसें

    नई दिल्‍ली (जेएनएन)। वर्ष 2020 के बाद एक बार फिर से अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच लड़ाई छिड़ी हुई है। इस लड़ाई में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दोनों तरफ से भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इस लड़ाई को अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई भी कहा जा रहा है। लेकिन क्‍या आप इस जंग की वजह के बारे में जानते हैं। यदि नहीं तो आज हम आपको इसकी जानकारी यहां पर दे रहे हैं।

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    दोनों के बीच क्‍या है लड़ाई की वजह 

    अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच जंग दरअसल नागोर्नो काराबाख पर अधिकार को लेकर हो रही है। ये एक पहाड़ी इलाका है जो 2020 तक अर्मेनिया का हिस्सा हुआ करता था। 2020 में करीब 3 सप्‍ताह तक चली जंग के बाद इस पर अजरबेजान का कब्‍जा हो गया था। इस दौरान दोनों ही तरफ के कई सैनिकों और आम लोगों की जान गई थी। रूस के बीच-बचाव के बाद ये युद्ध शांत हो सका था। इसके बाद भी यहां पर कई बार छोटे मोटै संघर्ष आम माने जाते हैं। यहां पर रूस के सैनिकों की तैनाती हर वक्‍त रहती है। अजरबैजान और आर्मेनिया दोनों ही पूर्व सोवियत संघ का हिस्‍सा हैं।

    आरोप-प्रत्‍यारोप 

    इन दोनों देशों के बीच अब जो जंग छिड़ी है उसमें आर्मेनिया का कहना है कि अजरबैजान ने उसके इलाकों में रात में कई हमले किए। वहीं अजरबेजान का कहना है कि वो आर्मेनिया के उकसावे का जवाब दे रहा था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इन दोनों ही देशों पर रूस का काफी प्रभाव रहा है। रूस एक बार फिर से इन दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश में है। मास्‍को की तरफ से कहा गया है कि वो दक्षिणी काकेशस में फैली हिंसा को रोकने की कोशिश कर रहा है।

    क्‍या चाहता है अजरबैजान और आर्मेनिया 

    जानकारों का कहना है कि अजरबैजान इस समय अपनी ताकत का इस्‍तेमाल कर अधिक से अधिक इलाकों को अपने कब्‍जे में करने की कोशिश कर रहा है। नागोर्नो काराबाख में भी अजरबैजान आर्मेनिया की दखल और अधिकार को पूरी तरह से खत्‍म कर देना चाहता है।

    यूरोप की क्‍यों अटकी है सांस 

    जानकार ये भी मानते हैं कि ये युद्ध पूरे क्षेत्र में बड़ी अस्थिरता भी फैला सकता है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि इस इलाके से तेल और गैस की सप्लाई होती है। इसलिए ऐसे समय में जब यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोप में एनर्जी क्राइसेस चरम पर है इस सप्‍लाई लाइन का बाधित होना बड़ी समस्‍या खड़ी कर सकता है।

    रूस और आर्मेनिया संबंध

    बता दें कि रूस और आर्मेनिया के बीच डिफेंस डील भी है और वहां पर रूस का एयरबेस भी है। लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध में फंसे होने की वजह यहां पर अधिक सैनिकों की तैनाती फिलहाल नहीं कर पा रहा है। यूक्रेन से युद्ध के बाद रूस विश्‍व स्‍तर पर काफी अलग-थलग भी है। यूरोपीय संघ भी इन दोनों देशों के बीच शांति समझौता राने के लिए आगे आता दिखाई दे रहा है।

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