'युद्ध बेहद नाजुक मोड़ पर', यूक्रेन को अमेरिका से मिलेगा टॉमहॉक मिसाइल; रूस ने दी खुली चेतावनी
रूस ने यूक्रेन को अमेरिका से टॉमहॉक मिसाइल मिलने की संभावना पर गहरी चिंता जताई है, चेतावनी दी है कि यह युद्ध को नाटकीय रूप से बढ़ा देगा। क्रेमलिन ने परमाणु वारहेड ले जाने की क्षमता पर भी चिंता व्यक्त की है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप मिसाइल देने से पहले यूक्रेन के इरादों को जानना चाहते हैं ताकि संघर्ष और न बढ़े।

पुतिन ने चेताया- टॉमहॉक देने से अमेरिका सीधे युद्ध में शामिल माना जाएगा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस ने यूक्रेन को अमेरिका से टॉमहॉक मिसाइल मिलने की संभावना पर गहरी चिंता जताई है। क्रेमलिन ने कहा कि यह स्थिति युद्ध को एक बहुत नाटकीय मोड़ पर ले जा रही है, जहां हर पक्ष से तनाव बढ़ता जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वे टॉमहॉक मिसाइल देने से पहले यह जानना चाहेंगे कि यूक्रेन उनका इस्तेमाल कैसे करना चाहता है, क्योंकि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को और बढ़ाना नहीं चाहते। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर किसी हद तक फैसला कर लिया है।
कितनी है टॉमहॉक की रेंज?
टॉमहॉक मिसाइल की रेंज 2500 किलोमीटर तक होती है, जिससे यूक्रेन रूस के अंदर गहराई तक हमले कर सकता है। यहां तक कि मॉस्को तक यूक्रेन हमला कर सकता है। कुछ पुराने मॉडल परमाणु वारहेड भी ले जा सकते हैं।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "अगर रूस पर टॉमहॉक दागे गए, तो हमें मानना होगा कि उनमें से कुछ परमाणु हथियार भी ले जा सकते हैं। सोचिए, अगर इतनी लंबी दूरी की मिसाइल उड़ रही है, तो रूस को क्या सोचना चाहिए, कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए?" उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी सैन्य विशेषज्ञों को यह समझना चाहिए।
पुतिन की चेतावनी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल अमेरिकी सैन्य भागीदारी के बिना संभव नहीं है, इसलिए अगर यूक्रेन को ये दी गईं तो यह युद्ध के नए खतरनाक चरण की शुरुआत होगी।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका पहले ही यूक्रेन को रूसी ऊर्जा ठिकानों पर लंबी दूरी के हमलों में मदद कर रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियां यूक्रेन को रूट, ऊंचाई और टाइमिंग तय करने में सहायता देती हैं ताकि उसके ड्रोन रूसी वायु रक्षा से बचकर निशाने तक पहुंच सकें।
पुतिन का पश्चिमी देशों पर आरोप
पुतिन इस युद्ध को मॉस्को और पश्चिमी देशों के रिश्तों में एक एतिहासिक मोड़ मानते हैं। उनका कहना है कि सोवियत संघ के 1991 में टूटने के बाद पश्चिम ने रूस को नीचा दिखाया और नाटो को रूस की सीमाओं तक बढ़ाया, जिससे यूक्रेन और जॉर्जिया भी शामिल हैं।
वहीं, यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों ने रूस के कदम को भूमि कब्जे की साम्राज्यवादी कोशिश बताया है और कहा है कि वे किसी भी कीमत पर रूसी सेना को हराएंगे।
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